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हिमाचल प्रदेश में मुख्य सचिव को बदले जाने पर क्यों हो रहा है विवाद? कांग्रेस ने विधानसभा से किया वॉकआउट
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सरकार और विपक्ष के बीच आज भारी गतिरोध देखने को मिला. राम सुभाग सिंह को मुख्य सचिव नियुक्त किए जाने के बाद कांग्रेस के विधायकों ने जमकर हंगामा किया.
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शिमलाः हिमाचल प्रदेश सरकार ने राम सुभाग सिंह को मुख्य सचिव नियुक्त किया है. इससे पहले इस पद पर अनिल कुमार खाची काम कर रहे थे. सरकार ने उनका तबादला कर दिया है. जिसके बाद राज्य में विपक्षी दल कांग्रेस ने विधानसभा में इस नियुक्ति का विरोध किया और सदन से बाहर चले गए. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि एक 'बाहरी' को लाने के लिए मुख्य सचिव के पद से हिमाचल प्रदेश के एक निवासी को हटाया गया.
राज्य सरकार ने एक आदेश में खाची को तत्काल प्रभाव से राज्य का निर्वाचन आयुक्त (एसईसी) बनाया गया है. 1986 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी खाची एक साल और सात महीने तक मुख्य सचिव के पद पर रहे. खाची के बाद सबसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राम सुभाग सिंह को नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है. वह 1987 बैच के हैं.
विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि शीर्ष प्रशासनिक पद पर एक 'बाहरी' को नियुक्त करने के लिए हिमाचल प्रदेश के निवासी को हटाया गया और वह भी विधानसभा सत्र के बीच में. वह इस मुद्दे पर चर्चा भी कराना चाहते थे.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्य सचिव की नियुक्ति करना राज्य सरकार का विशेषाधिकार है. सदन यह फैसला नहीं कर सकता कि कौन मुख्य सचिव होगा और सदन में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हो सकती. मुख्यमंत्री के बयान के बाद कांग्रेस के विधायकों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया और जमकर नारेबाजी की.
विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि वह कांग्रेस को इस मुद्दे को उठाने की अनुमति नहीं दे सकते क्योंकि मुख्य सचिव तथा अन्य अधिकारियों की नियुक्ति करना राज्य सरकार का विशेषाधिकार है न कि सदन का.
विधानसभा अध्यक्ष के बयान के बाद कांग्रेस विधायकों ने विरोध दर्ज करवाते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया. कुछ मिनट बाद कांग्रेस विधायक सदन में लौट आए और कामकाज शुरू हुआ.
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