Himachal Pradesh Election 2022: हिमाचल प्रदेश में कल यानी 12 नवंबर को वोट डाले जाने हैं. इस पहाड़ी राज्य में बीजेपी और कांग्रेस ने महिलाओं के लिए वादों की झड़ियां लगा दी हैं, लेकिन राज्य में महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर कोई पार्टी बात नहीं कर रही है. हिमाचल प्रदेश के हर चुनाव में पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक मतदान किया है, फिर भी पार्टियां महिलाओं को मैदान में उतारने से हिचक रही हैं. 


इस बार के विधानसभा चुनाव में 412 उम्मीदवारों में से केवल 24 महिलाएं हैं, जबकि इसमें 388 पुरुष उम्मीदवार हैं. वहीं, 2017 के चुनाव में, 19.1 लाख महिला मतदाताओं ने वोट किया था, जबकि महिलाओं की तुलना में 18.1 लाख पुरुषों ने मतदान किया था. महिला-पुरुषों दोनों ने मिलाकर 37.2 लाख वोट डाले गए थे.


महिला को टिकट देने में हिचकते दल
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही बड़ी पार्टियां महिला मतदाताओं का वोट लेने के लिए उन्हें लुभाती जरूर हैं, लेकिन उन्हें टिकट देने में हिचकती दिखाई देती हैं. दोनों दलों ने इस बार के चुनाव में भी अपने घोषणापत्रों में "महिला सशक्तिकरण" की तमाम बातें कही हैं. 


75 साल में केवल 38 महिला विधायक 
देश को आजादी मिले 75 साल हो गए, इस दौरान हिमाचल में 13 विधानसभा चुनाव हुए जिसमें कुल 807 विधायक निर्वाचित हुए. आपको हैरानी होगी कि इसमें केवल 38 महिला विधायक शामिल हैं. वहीं, 1977 के बाद से, केवल 197 महिलाओं ने चुनाव लड़ा है, जबकि इसके तुलना में 3,845 पुरुष चुनाव लड़ चुके हैं.


हिमाचल में 50 फीसदी आरक्षण 
2011 में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी जर्नल में प्रकाशित 'हिमाचल प्रदेश की राजनीति में महिलाएं' के अध्ययन में सामने आया था कि 1993 में राज्य में महिलाओं के लिए पंचायती राज संस्थानों में 33% सीटें आरक्षित की हैं. यह देश की राजनीति में एक ऐतिहासिक बदलाव था. इसके साथ ही राज्य विधानसभा ने 8 अप्रैल 2008 को हिमाचल प्रदेश पंचायती राज (संशोधन) विधेयक पारित किया, जिसमें आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 50% कर दिया गया.


मगर, जैसे-जैसे स्थानीय निकाय चुनावों में महिलाएं का प्रतिनिधित्व बढ़ने लगा, इसके मुकाबले में राज्य विधानसभा चुनावों में उनका प्रतिनिधित्व निराशाजनक रहा. 2012 के विधानसभा चुनाव में 68 में से केवल 3 महिला विधायक चुनकर आई थीं. विद्या स्टोक्स और आशा कुमारी कांग्रेस से और सरवीन चौधरी बीजेपी से विधायक निर्वाचित हुईं थीं. वहीं, 2017 में, महज चार महिला विधायक चुनी गईं, इसमें कांग्रेस से आशा कुमारी, रीता देवी, कमलेश कुमारी और बीजेपी से सरवीन चौधरी थीं. 


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