हिमाचल प्रदेश चुनाव: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अर्की से भरा पर्चा, करीब 30 करोड़ की संपत्ति घोषित की
वीरभद्र सिंह चार बार अपने निर्वाचन क्षेत्रों में बदलाव कर चुके हैं. उन्होंने 1983 और 1985 में जुब्बल और कोटखाई से चुनाव लड़ा था. इसके बाद 1990, 1993, 1998 और 2007 में उन्होंने रोहड़ू से चुनाव लड़ा था. इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किये जाने के बाद 2012 में उन्होंने शिमला (ग्रामीण) विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था.
शिमला: हिमाचल प्रदेश में चुनावी घमासान अब तेज हो चुका है. सूबे में छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह नौ नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सोलन जिले के अर्की विधानसभा क्षेत्र से इस बार अपनी किस्मत आजमाएंगे. उन्होंने अर्की विधानसभा क्षेत्र से नामांकन पत्र भर दिया है. सिंह ने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए शिमला (ग्रामीण) की सीट खाली कर दी है. नामांकन दाखिल करते हुए वीरभद्र सिंह ने अपने संपत्ति को ब्योरा दिया है, उन्होंने अपनी संपत्ति करीब 30 करोड़ रुपये बताई है.
इससे पहले 83 साल के कांग्रेस नेता चार बार अपने निर्वाचन क्षेत्रों में बदलाव कर चुके हैं. उन्होंने 1983 और 1985 में जुब्बल और कोटखाई से चुनाव लड़ा था. इसके बाद 1990, 1993, 1998 और 2007 में उन्होंने रोहड़ू से चुनाव लड़ा था. इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किये जाने के बाद 2012 में उन्होंने शिमला (ग्रामीण) विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था.
नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद सिंह ने कहा कि कांग्रेस आने वाले चुनाव विकास के एजेंडे पर लड़ेगी और आसानी से जीत दर्जकर सत्ता में वापसी करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को जल्दबाजी में लागू किये जाने का निर्णय बीजेपी पर भारी पड़ेगा क्योंकि इससे व्यापारियों और आम लोगों को समान रूप से परेशानी का सामना करना पड़ा है.’’
नौदान से चुनाव लड़ रहे राज्य कांग्रेस प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘नियमों के अनुसार चुनाव लड़ने की बजाय राज्य कांग्रेस अध्यक्ष को चुनावों के प्रबंध करने चाहिए. लेकिन अगर उन्होंने चुनाव लड़ने का निर्णय कर लिया है तो सुचारु रूप से चुनाव कराये जाने के लिए किसी और को पार्टी की राज्य इकाई का प्रमुख बनाया जाना चाहिए.’’
देखें वीडियो