Himachal Political Crisis: क्या कांग्रेस के पास सरकार बचाने का है कोई ऑप्शन? समझिए
Himachal Political Crisis: हिमाचल में सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और बेटे विक्रमादित्य सिंह के साथ कई विधायकों ने सुक्खू सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में सियासी संकट पैदा हो गया है. कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार बचेगी या नहीं? इसको लेकर सत्ता के गलियारों में अलग-अलग चर्चाएं जोरों पर हैं. हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट पर कांग्रेस कैंडिडेट अभिषेक मनु सिंघवी की हार के बाद से सीएम सुक्खू की कुर्सी खतरे में आ गई है जिसके बाद सरकार विरोधी कांग्रेस गुट फ्रंट पर आ गया है. ऐसे में अब इस पर ज्यादा फोकस बना है कि इस राजनीतिक घटनाक्रम से निपटने के लिए क्या 'ऑप्शन' बाकी हैं.
सत्तारूढ़ दल के हाथ से राज्यसभा चुनाव में सीट निकल जाने को एक तरह से राज्य सरकार का 'फेल्योर' ही माना जा रहा है. चुनाव में पार्टी के एक या दो नहीं बल्कि 6 विधायक क्रॉस वोटिंग कर देते हैं जिससे साफ और सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि मौजूदा सरकार के कामकाज या नेतृत्व को लेकर कांग्रेसी विधायकों में भारी अंदरुनी असंतोष व्याप्त है. इसका बड़ा परिणाम मंगलवार (27 फरवरी) को राज्यसभा चुनाव के बाद देर रात्रि में आए चुनावी नतीजे के रूप में देखा गया.
कांग्रेस के पास विधानसभा में है स्पष्ट बहुमत
हिमाचल प्रदेश में दलीय स्थिति की बात की जाए तो कांग्रेस के पास विधानसभा में स्पष्ट बहुमत है. कांग्रेस के पास 40 विधायक हैं तो बीजेपी के पास मात्र 25 विधायक सदन में हैं. वहीं, विधानसभा में 3 निर्दलीय विधायक भी जीतकर सदन में पहुंचे थे. इसका मतलब यह है कि 68 सदस्यीय हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के पास सरकार में बने रहने का पूरा बहुमत है, लेकिन राज्यसभा चुनाव में 6 विधायकों की क्रॉस वोटिंग और विक्रमादित्या सिंह के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नई राजनीतिक परेशानी खड़ी हो गई है. हालांकि, आलाकमान की ओर से विक्रमादित्या सिंह और दूसरे नाराज विधायकों को मनाने के लिए कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा को पर्यवेक्षक बनाकर हिमाचल भेजा है.
हर्ष महाजन ने 2022 में कांग्रेस छोड़कर ज्वाइन की थी बीजेपी
अहम बात यह है कि हिमाचल राज्यसभा का चुनाव जीतने वाले हर्ष महाजन ने 2022 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी. राज्यसभा चुनाव में 6 विधायकों की 'क्रॉस वोटिंग' को 'क्रॉस कनेक्शन' के रूप में देखना भी अतिश्योक्ति नहीं होगी. उधर, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह व बेटे विक्रमादित्या सिंह सीएम सुक्खू के खिलाफ पूरी तरह से 'फ्रंटलाइन' पर आ गए हैं.
क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों ने किया ये बड़ा दावा
उधर, मीडिया रिपोर्ट्स की बात करें तो क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 विधायकों ने दावा किया है कि कांग्रेस के 26 विधायक चाहते हैं कि सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें. अब सरकार बचाने के लिए पार्टी आलाकमान के पास कौन-सी 'जादू की छड़ी' है जिससे कि वो रूठे विधायकों को मनाने में काम आ सके.
वीरभद्र सिंह के नाराज परिवार को पहले मनाने का बड़ा ऑप्शन
कांग्रेस सरकार को संकट से बचाने के लिए एक बड़ा ऑप्शन यह है कि वो जैसे भी हो सबसे पहले पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के नाराज परिवार को मना ले. इसके साथ ही उसको जो भी अलग से प्रयास करने हो, वो सबकुछ करे. यह प्रयास भी ठीक उस तरह के ही होने चाहिए जैसे बीजेपी ने राज्यसभा की एक सीट को हासिल करने के लिए किया.
'डैमेज कंट्रोल' करने में रखने होंगे फूंक-फूंक कर कदम
इतना ही नहीं सरकार बचाने को नाराज विधायकों को इस तरह से सतुंष्ट करने का प्रयास हो कि वो बीजेपी के किसी 'ऑफर' पर भारी पड़ जाएं. कांग्रेस आलाकमान को स्थिति को 'डैमेज कंट्रोल' करने के लिए बेहद ही फूंक-फूंक कर कदम उठाने होंगे. ऐसा नहीं हो कि कहीं नाराज को मनाने के चक्कर में सुक्खू खेमा ही 'खफा' हो जाए और हालात महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार जैसे पैदा ना हो जाएं.
'क्रॉस वोटिंग' वाले विधायकों पर एक्शन से खराब ना हो जाए स्थिति?
कांग्रेस सरकार को बचाने के लिए 'क्रॉस वोटिंग' वाले विधायकों पर कोई एक्शन 'चाबुक' चलाना है या नहीं, इस पर भी गंभीरता से सोचना होगा. सरकार बचाने का एक 'ऑप्शन' यह भी है कि इन विधायकों पर फैसला सोच समझ कर लिया जाए. अगर पार्टी इन पर कोई बड़ा एक्शन लेती है तो सदन में विधायकों की संख्या 68 से 62 हो जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 32 हो जाएगा. कांग्रेस पार्टी को इस बार बारीकी से सोचना होगा कि सरकार से नाखुश विधायक पाला ना बदलें और क्रॉस वोटिंग वाले विधायक पार्टी में बने रहें, इससे सरकार का सियासी संकट भी दूर हो सकता है.
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