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हिमाचल प्रदेश से पहले और कहां-कहां चलाया गया BJP का ऑपरेशन लोटस? जानिए कितना रहा असरदार

Himachal Political Crisis: विपक्षी पार्टियां बीजेपी पर ऑपरेशन लोटस चलाने का आरोप लगाती आई हैं. अब हिमाचल प्रदेश में मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए इसकी चर्चा होने लगी है.

Himachal Pradesh Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट की चर्चा जोरों पर है. बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी को हराकर राज्य की एकमात्र राज्यसभा सीट पर जीत दर्ज कर ली. 

दोनों नेताओं को 34-34 वोट मिले और मुकाबला बराबरी पर रहा, लेकिन उसके बाद महाजन को ड्रॉ के जरिए विजेता घोषित कर दिया गया. यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है जिसके पास 68 सदस्यीय विधानसभा में 40 विधायक हैं. राज्य में बीजेपी के 25 विधायक हैं और तीन विधायक निर्दलीय हैं. राज्यसभा के चुनाव में बीजेपी के हर्ष महाजन के लिए कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी. 

इसके बाद से नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने दावा किया कि हिमाचल प्रदेश सरकार अल्पमत में है. वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को दावा किया कि वह पूरे पांच साल तक सरकार चलाएंगे. इस बीच बीजेपी के कथित ऑपरेशन लोटस की चर्चा भी होने लगी है. आइये जानते हैं कि कथित तौर पर पिछले कुछ वर्षों में कहां-कहां ऑपरेशन लोटस को अंजाम दिया गया. 

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने की बगावत
एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में 39 अन्य विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. इस कारण पार्टी में विभाजन हो गया. ऐसे में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी, जिसमें कांग्रेस, अविभाजित शिवसेना और अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल थी. 

इसी के साथ एकनाथ शिंदे बीजेपी के साथ मिल गए और महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बन गए. इसको लेकर विपक्षी दलों ने कहा था कि डराकर और विधायकों की खरीद-फरोख्त करके सरकार गिराई गई. 

दरअसल, अविभाजित शिवसेना और बीजेपी ने 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन परिणाम के बाद मुख्यमंत्री के पद को लेकर दोनों दल आमने-सामने आ गए. इसके बाद उद्धव ठाकरे ने शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी और खुद सीएम बन गए थे. 

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरी
ज्योतिरादित्य सिंधिया मार्च 2020 में बीजेपी में शामिल हो गए थे. उनके 20 से ज्यादा समर्थक विधायकों ने भी पार्टी छोड़ दी थी और मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार गिर गई थी. ज्योतिरादित्य सिंधिया को फिर केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया. 

कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस की सरकार गिरी
2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था लेकिन बीजेपी सबसे बड़ा दल बनकर उभरी थी. बीजेपी को 104 सीटें मिली थी और बहुमत का आंकड़ा 113 था. हालांकि बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी लेकिन बहुमत साबित करने में असफल रहने उन्हें 6 दिन में पद से इस्तीफा देना पड़ गया था.

फिर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की जनता दल सेक्युलर (JDS) और कांग्रेस ने गठबंधन कर सरकार बना ली थी और एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे. इस सत्तारूढ़ गठबंधन को उस समय झटका लगा जब 17 विधायकों ने पाला बदल लिया और बीजेपी में शामिल हो गए. इससे जेडीएस और कांग्रेस की वह सरकार 14 महीने बाद गिर गई थी.

2016 में अरुणाचल प्रदेश में जब बनी बीजेपी की सरकार
2016 में अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी थी लेकिन अंदरखाने विवाद के चलते तब सीएम पेमा खांडू समेत 43 विधायकों ने बीजेपी साथ गठबंधन में पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (PPA) में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ दी थी. 

दिसंबर 2016 को पेमा खांडू को पार्टी अध्यक्ष काहफा बेंगिया ने पार्टी से निलंबित कर दिया और तकम पारियो को अगले संभावित मुख्यमंत्री के रूप में नामित किया गया था. हालांकि पेमा खांडू ने पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल के 43 विधायकों में से 33 के बीजेपी में शामिल होने के साथ सदन में बहुमत साबित कर दिया था.

पार्टी के ज्यादातर विधायकों के समर्थन के चलते खांडू ने पीपीए का विलय बीजेपी में कर दिया था. इससे 60 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को 47 विधायकों का समर्थन प्राप्त हो गया था. बीजेपी के अपने 12 विधायक थे और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन उसे हासिल था.

ये भी पढ़ें- BJP, ED, CBI और IT पर कुछ दिन पहले इंटरव्यू में क्या बोले थे विक्रमादित्‍य सिंह?

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