शिमला: इस समय कोरोना वायरस की मार दुनिया झेल रही है. वहीं हिमाचल प्रदेश में एक डेयरी किसान की कोविड-19 की रिपोर्ट निगेटिव आई लेकिन, दूसरे किसानों ने उसको गांव में कोरोना फैलाने के लिए दोषी ठहराया और इसी बात पर उसने अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया.
दरअसल राज्य के ऊना जिले के बांगगढ़ गांव के दिलशाद मुहम्मद ने कथित तौर पर दिल्ली के मरकज में आयोजित तब्लीगी जमात के दो प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी. पुलिस सूत्रों ने बताया कि मुहम्मद, जो गुर्जर समुदाय से थे ग्रामीणों ने उनसे दूध खरीदने से मना कर दिया. इसके बाद उन्होंने अपने आप को फांसी पर चढ़ा लिया. वह गांव के मूल निवासी थे और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) कार्डधारक भी थे.
पुलिस अधिकारी ने कहा, "2 अप्रैल को दिलशाद को स्थानीय पुलिस ने ऊना में कोविड-19 परीक्षण के लिए क्षेत्रीय अस्पताल ले जाया गया. उसकी रिपोर्ट नकारात्मक आने के बाद पुलिस ने उसे शनिवार को एम्बुलेंस में वापस उसके घर पर छोड़ दिया.”
मृतक के परिवार के सदस्यों का आरोप है कि दिलशाद का ग्रामीणों ने अपमान किया था. जिसके कारण उसने आत्महत्या की. मृतक के परिवार के सदस्यों का कहना है कि वह सुबह सभी से मिला. इसके बाद वह नमाज अदा करने गया था. घर लौटने के बाद उसने घर का दरवाजा बंद कर लिया. लंबे समय तक बाहर नहीं आने पर उनके परिवार के सदस्यों को संदेह हुआ. उन्होंने दरवाजा खोला और किसान को छत से लटका पाया. फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.
ये भी पढ़ें-