नई दिल्लीः हिमालयन वियाग्रा जिसे उत्तराखंड में कीड़ाजड़ी के नाम से जाना जाता है, खासतौर पर कामोत्तेजक गुणों को बढ़ाने के लिए पहचानी जाती है. अब इसको लेकर आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर) ने बड़ा कदम उठाया है. आईयूसीएन ने इसे रेड लिस्ट में डाल दिया है और ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि इसकी जरूरत से ज्यादा पैदावार हो रही थी और ये अतिसंवेदनशील कैटेगरी में चला गया है.

20 लाख रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर बिकता है
इसमें इतनी खासियत है कि ये 20 लाख रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकती है और देसी वियाग्रा की काफी समय से जरूरत से ज्यादा पैदावार की जा रही थी जिसकी वजह से इसमें कमी देखी जा रही है. बताया जा रहा है कि पिछले 15 सालों से इसमें 30 फीसदी तक की कमी दर्ज की जा रही है.

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर यानी आईयूसीएन के मुताबिक कामोत्तेजक गुणों को बढ़ाने वाली इस देसी वियाग्रा को संवेदनशील सूची में डाला गया है और इसके जरिए ये संदेश देने की कोशिश की गई है कि इसके संरक्षण के लिए सरकार को कदम उठाने की जरूरत है.

उत्तराखंड में मुख्य तौर पर मिलती है
भारत में सबसे ज्यादा इसकी पैदावार उत्तराखंड में होती है. हालांकि इसकी पैदावार भारत के अलावा चीन, नेपाल के साथ-साथ भूटान में भी होती है. हिमालयन वियाग्रा मुख्य तौर पर दिखने में कीड़े की तरह होती है और इसी वजह से इसे कीड़ाजड़ी भी कहा जाता है.

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