शिमला: चुनाव आयोग ने आज हिमाचल प्रदेश में चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है. राज्य में 9 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे. कांग्रेस ने मौजूदा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को ही सीएम प्रत्याशी घोषित करके सियासी बढ़त लेने की कोशिश की है. 83 साल के सीएम वीरभद्र सिंह का छठा कार्यकाल है.
कांग्रेस ने लगाया गुटबाज़ी पर विराम!
अगर कांग्रेस ने इस बार भी जीत दर्ज की तो वीरभद्र सिंह सातवीं बार मुख्यमंत्री बनेंगे. कांग्रेस के इस दांव से बीजेपी दबाव में है. कांग्रेस लगातार बीजेपी को बिन दूल्हे की बारात कह रही है और सीएम कैंडिडेट देने के लिए ललकार रही है. ये इसलिए भी अहम है क्योंकि लगातार सीएम वीरभद्र और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू में दरार की खबरें हिमाचल की राजनीति में आम हैं. लिहाज़ा कांग्रेस नेतृत्व ने वीरभद्र के हाथ में कमान देकर गुटबाज़ी पर विराम लगाने की कोशिश की है.
दरअसल वीरभद्र कांग्रेस हिमाचल में कमोबेश उसी स्थिति में है जैसा पंजाब में थी और वहां कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम उम्मीदवार घोषित करना पड़ा था.
बीजेपी को क्यों उठाना पड़ सकता है नुकसान
चुनाव की तारीख घोषित हो चुकी हैं लेकिन अभी तक बीजेपी ने कोई चेहरा सामने नहीं किया है. बीजेपी पर कांग्रेस की सीएम चेहरा देने की ललकार पर बीजेपी सामने ज़रूर ये कह रही है कि हमारे पास चेहरों की कमी नहीं है, लेकिन जानकार मानते हैं कि हिमाचल में चेहरों की राजनीति होती है और अगर बीजेपी ने चेहरा घोषित नहीं किया तो नुकसान उठाना पड़ सकता है.
राज्य में बीजेपी के चेहरों पर नज़र डालें तो दो बार के मुख्यमंत्री रहे प्रेम कुमार धूमल, केंद्र में मंत्री जेपी नड्डा, शांता कुमार और प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती के फोटो प्रदेश भर में पोस्टर और होर्डिंग्स पर लगे हैं.
पीएम मोदी ने की थी जेपी नड्डा की तारीफ
सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा हैं कि तीन अक्टूबर को हिमाचल के बिलासपुर में हुई रैली में पीएम मोदी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की तारीफ करके सीएम की रेस में आगे कर दिया है. कुछ भी हो जानकार मानते हैं कि अगर बीजेपी ने फेस नहीं दिया तो चुनाव में कुछ सीटों का नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ सकता है.
क्या है मौजूदा स्थिति?
2012 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ें
2012 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने राज्य की 68 सीटों में से 36 सीटे जीती थी. बीजेपी ने 26 सीटे जबकि अन्य के खाते में 6 सीटे गयी थी. 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने सभी चारों सीटों पर कब्ज़ा किया.
क्या हैं मुद्दे?
राज्य में पांच साल वीरभद्र सिंह ने सरकार चलाई लिहाज़ा ये उनके काम की भी परीक्षा होगी. लेकिन राज्य में जिन मुद्दों को लेकर बीजेपी हमलावर उनमें वीरभद्र की संपत्ति को लेकर लगे आरोप हैं. बीजेपी उन्ही आरोपों को चुनाव में भुनाने की कोशिश कर रही है. पीएम मोदी ने भी बिलासपुर की रैली में वीरभद्र समेत पूरी कांग्रेस को जमानत पर कहकर करारा प्रहार किया था. साथ ही बीजेपी राज्य में हुए गुड़िया हत्यकांड को मुद्दा बनाकर जनता के बीच जा रही है.
चुनाव में हिमाचल बनाम गुजरात
यूपी उत्तराखंड में बिना चेहरा जीत दर्ज कर बीजेपी के हौंसले बुलंद हैं. लेकिन पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से मोदी सरकार पर नोटबंदी, जीएसटी और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों को लेकर घिरी हुई है. राहुल गांधी ने भी मंडी की रैली में हिमाचल और गुजरात की तुलना करते हुए कहा था कि हिमाचल में गुजरात से ज़्यादा विकास है.
राहुल ने उदाहरण देते हुए कहा कि हिमाचल सरकार ने पिछले 5 साल में 70 हज़ार लोगों को सरकारी रोज़गार दिया तो वहीं गुजरात मे पांच सालों में 10 हज़ार लोगों को सरकारी रोज़गार मिला. फिलहाल चुनावी बिगुल बज चुका है. दोनों दलों ने जनता के बीच जाने के लिए कमर कस ली है. अब देखना होगा कि जनता किस पर अपना विश्वास जताती है.
सीएम ने बेटे के लिए छोड़ी सीट
मुख्यमंत्री वीरभद्र ने अपनी अगली पीढ़ी को सियासत में दाखिल करने की पूरी तैयारी कर ली है. बेटे विक्रमदित्या सिंह के लिए सीएम ने अपनी सीट छोड़ दी है. विक्रमदित्या सिंह ने अपने पिता की मौजूदा सीट शिमला ग्रामीण से पार्टी में टिकिट के लिए आवेदन किया है. जल्द ही पार्टी उनके टिकिट पर मुहर लगाएंगी. विक्रमदित्या फिलहाल युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हैं. लगातार अपने पिता की सीट पर जनसंपर्क कर अभी से अपने लिए वोट जुटाने की कोशिश में जुट गए हैं.
हिमाचल चुनाव: क्या वीरभद्र को सीएम उम्मीदवार घोषित करके कांग्रेस ने सियासी बढ़त बना ली है?
ABP News Bureau
Updated at:
12 Oct 2017 06:13 PM (IST)
हिमाचल प्रदेश में इस बार चुनाव दिलचस्प होने वाले हैं. एक तरफ कांग्रेस ने जहां भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे वर्तमान सीएम वीरभद्र सिंह को ही सीएम प्रत्याशी बनाया है. वहीं बीजेपी ने अभी तक सीएम उम्मीदवार का एलान नहीं किया है.
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