कोरोना वायरस के बीच जीवाणुजनित संक्रमण के मामले भी सामने आ रहे हैं. इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल शिमला में मंगलवार को स्क्रब टाइफस के चार मरीज मिले हैं. अस्पताल में मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर जनक राज ने कहा कि यह इन्फैक्टेट चिग्गर्स (infected chiggers) के काटने से फैलता है.


स्क्रब टायफस के ज्यादातर मरीज पहाड़ी इलाकों में ही पाए जाते हैं. यह एक जीवाणुजनित संक्रमण है, जिससे लोगों की मौत तक हो जाती है. इसके कुछ लक्षण चिकनगुनिया जैसे होते हैं.






स्वास्थ्य जानकारों के मुताबिक, इससे बचने के लिए कपड़ों और बिस्तरों पर परमेथ्रिन और बेंजिल बेंजोलेट का छिड़काव करना चाहिए. इसके साथ ही, अगर किसी में स्क्रब टायफस के लक्षण पाए जाते हैं तो उसे फौरन डॉक्टर्स की सलाह के लिए लेकर जाना चाहिए ताकि उसकी सही समय पर इलाज शुरू कर जान बचाई जा सके.  


यह बीमारी खासतौर से गांवों के इलाकों में होती है और मुख्य वजह पशुओं के संपर्क मं रहने के कारण यह बीमारी आती है. गांवों के अंदर पशुओं के नोहरे और झाड़ियों वाले इलाकों में स्क्रब टायफस ज्यादा फैलती है.


स्क्रब टायफस होने पर रोगी को सांस लेने में दिक्कत, पीलिया, उल्टी, जी मचलाना, जोड़ों में दर्द या फिर कंपकंपी के साथ बुखार आता है. लेकिन अधिक संक्रमण की स्थित में गर्दन, बाजुओं के नीचे, कुल्हों के ऊपर गिल्टियां हो जाती हैं. इसके अलावा, शरीर के जिस हिस्से पर कीड़े ने काटा होता है वहां पर लाल रंग का एक निशान यानी चकता पड़ जाता है.


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