Muslim Marriage And Divorce Bill 2024: असम विधानसभा ने मुस्लिमों के विवाह और तलाक के अनिवार्य सरकारी पंजीकरण संबंधी विधेयक को गुरुवार (29 अगस्त 2024) को पारित किया. राज्य के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन ने इस बिल को मंगलवार (27 अगस्त) को पेश किया था. इसे लेकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि नये कानून के लागू होने के बाद बाल विवाह पंजीकरण पर पूरी तरह रोक लग जाएगी.


'अब काजी नहीं करेंगे मुस्लिम विवाह का रजिस्ट्रेशन'


असम के मुख्यमंत्री ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "आज असम की बेटियों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. असम विधानसभा ने मुस्लिम विवाह पंजीकरण विधेयक 2024 को पारित कर दिया है. इस नए कानून के लागू होने के बाद नाबालिका से विवाह की पंजीकरण एक कानूनी अपराध माना जाएगा. इसके अलावा, मुस्लिम विवाह की पंजीकरण अब काजी नहीं, सरकार करेगी." सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने साफ किया कि राज्य सरकार मुस्लिम पर्सनल लॉ और इस्लामी रीति-रिवाजों से होने वाली शादियों में कोई भी हस्तक्षेप नहीं करेगी.


मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि बेटी चाहे हिंदू की हो या मुस्लिम की, हमारी सरकार का उद्देश्य है कि किसी के साथ अन्याया नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, "मैं असम की जनता से प्रार्थना करता हूं कि हमारा साथ दीजिए और इस प्रथा को इतिहास के पन्नों तक सीमित रखिए. एक आधुनिक असम में इस प्रथा की कोई जगह नहीं है."






'नये कानून से बहुविवाह पर लगेगी रोक'


असम सरकार में मंत्री जोगेन मोहन कहा कि नये कानून से बहुविवाह पर रोक लगाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इससे विवाहित महिलाओं को ससुराल में रहनेभरण-पोषण के अधिकार का दावा करने में सक्षम बनाया जा सकेगा.


असम सरकार के अनुसार इससे विधवाओं को अपने उत्तराधिकार के अधिकार और विशेषाधिकार लेने में सहायता मिलेगी, जो उनके पति की मृत्यु के बाद उन्हें मिलेगा. असम सरकार के मंत्री ने बताया कि इससे विवाह संस्था को मजबूत होगा और वैसे पुरुष जो शादी के बाद पत्नी तो छोड़ देते थे अब वो ऐसा नहीं कर पाएंगे.


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