BJP Firebrand Leaders: राजनीति अनिश्चितता का खेल है. कब-क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता. कौन कब पाला बदलेगा, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. जनता के मिजाज और चुनावी हवा को देखते हुए बड़ी-बड़ी पार्टियों के नेताओं ने अपनों का साथ छोड़ दूसरों का दामन थामा है. ऐसे नेताओं की लिस्ट तो बहुत लंबी है लेकिन हम उन बयानवीर नेताओं की बात कर रहे हैं जो कांग्रेस या दूसरी पार्टियों को छोड़कर बीजेपी में जा चुके हैं और अब वे सब फायरब्रांड नेता बन चुके हैं.
हिमंता बिस्वा सरमा
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है कांग्रेस को छोड़ने वाले हिमंता बिस्वा सरमा का. हिमंता बिस्वा सरमा ने 2015 में कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वह शारदा चिट फंड मामले में पार्टी के रुख से नाराज थे. वहीं, 2016 के असम विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली और आज राज्य के मुख्यमंत्री हैं. वह कांग्रेस की आलोचना करने में सबसे आगे रहते हैं. दो राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी पर कई बार तल्ख टिप्पणियां की हैं. सरमा ने बीते दिनों राहुल गांधी के दाढ़ी वाले लुक की तुलना सद्दाम हुसैन तक से कर दी. सरमा ने कहा था कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष का चेहरा 'सद्दाम हुसैन जैसा' दिखाई नहीं देना चाहिए.
शुभेंदु अधिकारी
टीएमसी को छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले शुभेंदु अधिकारी का नाम इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है. वह भी बीजेपी के बयानवीर नेताओं की लिस्ट में आते हैं और आज के समय में बंगाल में एक फायरब्रांड नेता के तौर पर जाने जाते हैं. एक समय में ममता के काफी नजदीकी रहे शुभेंदु अधिकारी उनके खिलाफ बोलने से बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाते हैं. अभी दो दिन पहले ही उन्होंने सीएम के साथ मुलाकात की थी और उसके ठीक बाद अधिकारी ने ममता पर निशाना साधा था. शुभेंदु अधिकारी ने कहा, "एक दिन पहले इंडोर स्टेडियम में ममता बनर्जी ने कहा था कि वह मेरा नाम भी नहीं लेना चाहती थीं और मैंने केंद्र को पश्चिम बंगाल के लिए धन रोकने के लिए लिखा था. मैंने उन्हें अपने शब्दों को वापस लेने के लिए मजबूर किया. अब वह कहती हैं कि मैं एक स्नेही भाई की तरह था." उन्होंने सीएए पर भी ममता को निशाने पर लिया है और खुली चुनौती दी है. अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी कानून को लागू करने से रोककर दिखाएं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया
मध्य प्रदेश के राज परिवार से संबंध रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया भी एक वक्त कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक थे. पार्टी ने उनको साइडलाइन किया तो वह भी बीजेपी में चले गए और आज केंद्र में मंत्री हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कांग्रेस पर निशाना साधने से नहीं चूकते हैं. वह कई बार कह चुके हैं कि कांग्रेस को सिर्फ एक परिवार की चिंता है, कांग्रेस और बीजेपी में यह बड़ा फर्क है. सिंधिया ने कांग्रेस पर लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने का आरोप भी लगाया है.
हार्दिक पटेल
गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं और कांग्रेस के सामने बीजेपी के अलावा अपने बागी नेताओं की भी चुनौती है. लिस्ट में एक मुख्य नाम है हार्दिक पटेल का है. 2015 के पाटीदार आरक्षण के चेहरे के रूप में उभरे हार्दिक पटेल को कुछ राजनीतिक पंडितों ने गुजरात के भविष्य के रूप में देखा था. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में शामिल हुए. वहीं, पार्टी से कई मुद्दों पर असहमत पटेल ने बीजेपी ज्वाइन की और आज वह गुजरात में एक फायरब्रांड नेता के रूप में उभरे हैं. अभी एक दिन पहले ही पटेल ने कहा कि राहुल गांधी अपनी यात्रा में व्यस्त हैं और उनके पास गुजरात के लिए कोई विजन नहीं है. पटेल ने यहां तक कहा कि कांग्रेस को पार्टी में गुजरातियों की कोई जरूरत नहीं है.
नारायण राणे
महाराष्ट्र की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग नारायण राणे को बहुत अच्छे से जानते हैं. शिवसेना से अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले राणे ने भी 2005 में कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी. हालांकि, 12 साल बाद पार्टी में हुए मतभेद के बाद वह बीजेपी के पाले में चले गए. आज वह केंद्र सरकार में मंत्री हैं. नारायण राणे कांग्रेस को खूब खरी-खोटी सुनाते हैं. राणे कह चुके हैं कि कांग्रेस का अब कोई भविष्य नहीं है.
कपिल मिश्रा
कभी आम आदमी पार्टी में रहे कपिल मिश्रा आज दिल्ली बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं में से एक हैं. अपने बयानों के लिए वह कई बार विवादों में भी रह चुके हैं. कपिल मिश्रा 'आप' के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर आए दिन निशाना साधते हैं. राजेंद्र पाल गौतम का बयान हो या सत्येंद्र जैन का तिहाड़ वाला वीडियो, मिश्रा ने एक भी मौके पर केजरीवाल को नहीं बख्शा. उन्होंने केजरीवाल को "भारतीय राजनीति का सबसे झूठा नेता" भी करार दिया था.
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