Hindi Diwas 2020 LIVE UPDATES: देश मना रहा है हिंदी दिवस, राष्ट्रपति कोविंद, पीएम मोदी, गृहमंत्री शाह ने दी शुभकामनाएं

आज देश में राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जा रहा है और इसके लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट के माध्यम से देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस दिवस के लिए देशवासियों को बधाई संदेश जारी किया है.

एबीपी न्यूज़ Last Updated: 14 Sep 2020 03:43 PM
फल-फूल रही हिंदी
गनीमत है कि स्वभावतः पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश के अलावा आज अगर हिन्दी सुदूर स्थित सिंगापुर, त्रिनिदाद और टोबैगो, मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम और दक्षिण अफ्रीका जैसे विश्व के कई देशों में फल-फूल रही है तो यह किसी सरकारी इमदाद या अहसान की वजह से नहीं, बल्कि उनकी अपने पुरखों की भाषा से जुड़े रहने की ललक का परिणाम है. अमेरिका के जूनियर बुश प्रशासन ने अमेरिकियों को हिंदी सिखाने के लिए करोड़ों डॉलर का बजट मंजूर किया था. संयुक्त राष्ट्र संघ अपने कार्यक्रमों का संयुक्त राष्ट्र रेडियो वेबसाइट पर हिंदी भाषा में भी प्रसारण करता है. बीबीसी, यूएई के ‘हम एफ-एम', जर्मनी के डॉयचे वेले, जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल हिंदी सेवा प्रसारित करते रहे हैं.
हिंदी का बंटाधार
आज हिन्दी का कथित नेतृत्व भाषा की प्रतिष्ठा का मूल प्रश्न रास्ते में ही छोड़कर खुद को प्रतिष्ठित करने के रास्ते पर आगे बढ़ गया है. संकीर्णता का आलम देखिए कि अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन होते हैं लेकिन वहां हिन्दी से जुड़ने की ललक रखने वालों को निःशुल्क प्रवेश नहीं दिया जाता. विश्व हिन्दी सम्मेलन में स्थानीय लोगों के प्रवेश पर भारी-भरकम शुल्क लगाया जाता है. सरकारी मेहमान और मेजबान अपनी-अपनी हांकते, सुनते और घूमते रहते हैं.
हिंदी के मार्ग में कठिनाइयां कैसे आनी शुरू हुईं
उन्नीसवीं सदी के उत्तर्राद्ध में भारतेंदु युग के मिश्र बंधु और बीसवीं सदी की शुरुआत में फोर्ट विलियम कॉलेज, कोलकाता के तत्वाधान में हिंदी के राजा शिवप्रसाद सितारा-ए-हिन्द और सदल मिश्र जैसे कई प्रतिष्ठित साहित्यकार तत्सम-तद्भव के अखाड़े में उतर गए. स्वतंत्रता के बाद राजनीतिक स्वार्थ ने भाषायी अगुवाओं को यह समझने ही नहीं दिया कि हिन्दी को अन्य भारतीय भाषाओं के समानान्तर रखने से न तो हिन्दी ही बढ़ सकेगी और न अन्य भाषाएं. हां, अंग्रेजी अवश्य हिन्दी समेत अन्य भारतीय भाषाओं को कांख में दबा लेगी. 1956 आते-आते संसद में खुद पंडित नेहरू अंग्रेजी का माहात्म्य पारायण करने लगे थे. हिन्दी के राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनने की जद्दोजहद में अब तक हुआ भी यही है. महात्मा गांधी की ‘हिंदुस्तानी’ को हिंदी-उर्दू के टुकड़ों में चीर दिया गया है. हिन्दी की अपेक्षा अंग्रेजी सामाजिक नियंत्रण के कहीं अधिक अवसर प्रदान करती है और यही कारण है कि आज कोई भी व्यक्ति अपने बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने के लिए खुद को गिरवी रखने में भी संकोच नहीं करता.
हिंदी को पहना दिया धार्मिक वर्चस्व का चोला
महात्मा गांधी और अन्य महान हिंदी प्रेमी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की मृत्यु के बाद राष्ट्रभाषा के मुद्दे को राष्ट्रीय और सांस्कृतिक दृष्टि से न देख कर विशुद्ध राजनैतिक दृष्टि से निबटाया गया और हिन्दी में घोड़े के पैर जोड़कर उसे रेस जिताने की होड़ चलने लगी. आगे चलकर यह रेस उत्तर और दक्षिण भारत की घुड़दौड़ में बदल गई. तमिल के साथ-साथ मलयालम, तेलगु और कन्नड़ भाषियों को भी हिंदी से भयभीत कर दिया गया. दोनों के बीच भाषायी अपरिचय का विंध्याचल खड़ा हो गया. भाषा को राज्यवार ऊंच-नीच दिखा कर, उसे प्रतिद्वन्द्विता के क्षेत्र में उतारकर दयनीय बना दिया गया. हमारी हिन्दी जो पढ़े-लिखे वर्ग के साथ-साथ किसान-मजदूरों, बुनकरों, दर्जियों, मोचियों और सेवारत पेशों की जुबान थी, जो कबीर, रैदास, मीरा, रसखान, तुलसी और सूर जैसे राज दरबार से बाहर के महाकवियों जुबान थी, उसको धार्मिक वर्चस्व का चोला पहना दिया गया.
बात राष्ट्रभाषा की हुई थी बनी राजभाषा
स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर काफी विचार-विमर्श के बाद भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में लिखा गया कि संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी. हिन्दी की दुर्दशा का मूल कारण भी यह शब्दावली है. गांधी जी ने राष्ट्रभाषा बनाने की बात कही थी जबकि निर्णय हुआ राजभाषा बनाने का. गैर-हिन्दी भाषी, खास तौर पर दक्षिण भारतीय लोग इसका भाषायी वर्चस्व और अस्मिता के नाम पर तीखा विरोध करने लगे और सेफ्टी वॉल्व के तौर पर अंग्रेज़ी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा, जो पहले ही दबंग भाषा थी. नतीजा यह हुआ कि अंग्रेजी ने धृतराष्ट्र की तरह पूरे भारत समेत हिन्दी पट्टी में भी हिन्दी को भुजाओं में जकड़ लिया और अब तो उसकी हड्डियों का चूरमा बनाए दे रही है.
हिन्दी भाषा के बारे में कुछ रोचक जानकारियां
हिन्दी भाषा के बारे में कुछ रोचक जानकारियों की बात करें तो फिजी में हिंदी भाषा को अधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है. जिसे फि‍जियन हिंदी या फि‍जियन हिन्दुस्तानी भी कहा जाता है. वहीं 2017 में पहली बार ऑक्‍सफोर्ड डिक्‍शनरी में 'अच्छा', 'बड़ा दिन', 'बच्चा' और 'सूर्य नमस्कार' जैसे हिंदी शब्‍दों को भी शामिल किया जा चुका है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी हिंदी दिवस के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और सरकार के पोर्टल rajbhasha.gov.in पर उनका संपूर्ण बधाई संदेश उपलब्ध है. उनके शुभकामना संदेश का एक भाग यहां देख सकते हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी हिंदी दिवस के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और सरकार के पोर्टल rajbhasha.gov.in पर उनका संपूर्ण बधाई संदेश उपलब्ध है. उनके शुभकामना संदेश का एक भाग यहां देख सकते हैं.
हिंदी से मिली स्वीकार्यता
भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, केशव चंद्र सेन, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, सुभाष चंद्र बोस, काका कालेलकर और विनोबा भावे जैसे कई अहिन्दीभाषी महान नेताओं ने हिन्दी की सम्पर्क और संप्रेषण शक्ति का लोहा माना था और गांधी जी ने तो इसे जनमानस की भाषा करार दिया था. यही कारण है कि उन्होंने उस नाजुक समय में भी 1918 के हिन्दी साहित्य सम्मेलन के दौरान हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का मंतव्य व्यक्त किया और स्वयं राष्ट्रीय स्वीकार्यता प्राप्त की. यह राष्ट्रीय आंदोलन का ही अनुभव और दबाव था कि स्वतंत्रता मिलने के बाद 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने हिन्दी को भारत की राजभाषा बनाने का एक मत से निर्णय लिया. इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने और हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है. अब तो यह हिंदी सप्ताह और हिंदी पखवाड़ा तक खिंचता रहता है.
भारत में 14 सितंबर को मनाया जाता है हिन्दी दिवस
जहां एक तरफ वैश्विक स्तर पर हिन्दी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है तो वहीं भारत में इससे अलग हिंदी दिवस मनाते हैं. भारत में 14 सितंबर का दिन हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है. दरअसल, इसके पीछे भी एक कारण है. साल 1949 में 14 सितंबर को ही हिंदी को देश की राजभाषा बनाया गया था. उस वक्त भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे. इन्होंने ही हिंदी के महत्व को देखते हुए 14 सितंबर को ही हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की थी.

देश में हिंदी दिवस के अवसर पर अलग अलग कार्यक्रम आयोजित होते हैं लेकिन इस बार कोरोना संकटकाल के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है. जहां सरकारी कार्यक्रमों पर कोरोना संकटकाल का असर है वहीं स्कूल-कॉलेज व विश्वविद्यालयों में होने वाले आयोजन भी नहीं हुए हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कुछ घंटों पहले हिंदी दिवस की बधाई देते हुए ट्वीट किया था.

आज हिंदी दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी अब से कुछ देर पहले एक ट्वीट किया है और देश की जनता को शुभकामनाएं दीं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देशवासियों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं ट्विटर के माध्यम से दीं.

बैकग्राउंड

हिंदी दिवस LIVE UPDATES: आज देश में हिंदी दिवस मनाया जा रहा है और इस दिन देश भर में हिंदी को लेकर तरह तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. देश के दफ्तरों, कार्यालयों, सरकारी संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों में आयोजन होते हैं और कई तरीके से हिंदी को बढ़ावा देने और इसके विकास के लिए वादे किए जाते हैं.


 


देश में सबसे पहले 14 सितंबर, 1949 के दिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था. इसके बाद से ही हिंदी दिवस को पूरे देश में मनाने का निर्णय किया गया और हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है.


 


इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के शुभकामनाएं दीं और हिंदी भाषा में कार्य कर रहे लोगों को हार्दिक अभिनंदन किया और लिखा कि हिन्दी दिवस पर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। इस अवसर पर हिन्दी के विकास में योगदान दे रहे सभी भाषाविदों को मेरा हार्दिक अभिनंदन।

- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -

TRENDING NOW

© Copyright@2024.ABP Network Private Limited. All rights reserved.