नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को हिंदी भाषी लोगों से कहा कि देश में हिंदी को और लोकप्रिय बनाने के लिए वे क्षेत्रीय भाषाओं और उन्हें बोलने वालों को और जगह दें और सम्मान दें. ‘हिंदी दिवस ’ के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हिंदी कई दशक पहले आधिकारिक भाषा बन चुकी है , इसके बावजूद देश के कई हिस्सों में हिंदी को आज भी लगातार विरोध का सामना करना पड़ रहा है.


कार्यक्रम को गृह मंत्रालय ने आयोजित किया था और इस मौके पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी को और समृद्ध बनाया जा सकता है बशर्ते इसे बोलने वाले दूसरे भाषाओं के शब्दों का भी इस्तेमाल करें. उन्होंने बेंगलुरू मेट्रो की हाल की घटना का जिक्र किया जिसमें रेलवे सेवा में हिंदी भाषा के इंटिकेटर्स का कन्नड़ समर्थक समूहों ने विरोध किया था. इसके अलावा तमिलनाडु में हिंदी के विरोध में प्रदर्शन भी हुए थे. इनका जिक्र करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि उन पर हिंदी थोपी जा रही है.


राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘‘ गैर हिंदी भाषी लोग चाहते हैं कि हम (हिंदी भाषी) उनकी भाषाओं की ओर समुचित ध्यान दें. हिंदी भाषी लोगों को दूसरी भाषाओं को भी जगह देनी चाहिए. गैर हिंदी भाषी लोगों और क्षेत्रीय भाषाओं को सम्मान देना हमारी सबकी जिम्मेदारी है.’’


राष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि हिंदी भाषी लोगों को किसी तमिलभाषी व्यक्ति का अभिवादन ‘वड़क्कम’ कहकर, किसी सिख का अभिवादन ‘सत श्री अकाल’ कहकर और किसी मुस्लिम का अभिवादन ‘आदाब’ कहकर करना चाहिए. उन्हें किसी तेलगु भाषी व्यक्ति को ‘गारू’ कहकर संबोधित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि दूसरी भाषाओं और संस्कृतियों को अपनाने से देश और लोगों को एकजुट करने में मदद मिलेगी.