नई दिल्ली: मेघालय में विधानसभा की कुल 60 सीटें हैं. मेघालय में 59 सीटों पर ही विधानसभा चुनाव हुए हैं. विलियमनगर सीट पर NCP उम्मीदवार की हत्या की वजह से चुनाव नहीं कराया गया है. राज्य में कांग्रेस की मुख्य लड़ाई बीजेपी-एनपीपी से है.
2013 में नहीं खुला था बीजेपी का खाता
2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 60 में से 29 सीटों पर जीत मिली थी. एनपीपी को दो सीटों पर जीत मिली थी, वहीं यूनाईटेड डेमोक्रेटिक पार्टी को आठ सीटों पर जीत मिली थी. 13 सीटों पर निर्दलीय जीते थे, जबकि बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था.
आपको बताते हैं कि इस चुनाव में पार्टियों की हार जीत के मायने क्या हैं-
कांग्रेस-
- कांग्रेस यहां 40 साल से सबसे बड़ी पार्टी रही है. कांग्रेस हारी तो पूर्वोत्तर में कांग्रेस का एक और गढ़ ढह जाएगा.
- कांग्रेस यहां एंटी इनकम्बेंसी और गुटबंदी से जूझ रही है.
- कांग्रेस पार्टी अगर हारी तो दिल्ली से लेकर पूरब तक सिर्फ मिजोरम बचेगा.
- इस ईसाई बहुल राज्य में कांग्रेस को बड़ा झटका लगेगा.
- पार्टी अगर जीती तो इसकी कमान संभाल रहे राहुल का हौसला बढ़ेगा.
बीजेपी
- बीजेपी अगर जीतती है तो इसपर से सिर्फ हिंदू पार्टी होने का ठप्पा हटेगा.
- साथ ही कांग्रेस मुक्त भारत मिशन आगे बढ़ेगा.
2009 से है बीजेपी की सरकार
मेघालय में 2009 से कांग्रेस की सरकार है. कांग्रेस पार्टी के मुकुल संगमा मेघायल के मुख्यमंत्री है. संगमा दो सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. मेघालय में कांग्रेस अपना किला बचाने की जुगत में है. वहां कांग्रेस की ही सरकार है. अगर मेघालय में पार्टी हार गई तो पूरे देश में संदेश जाएगा कि एक और राज्य से पार्टी समाप्त हो गई और कांग्रेस मुक्त भारत के अपने नारे को बीजेपी और मजबूती से पेश करेगी. ऐसे में 2019 से पहले अपनी संभावनाओं को खुला रखने के लिए कांग्रेस पर इस राज्य में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव है.
पीएम मोदी ने की हैं कुल दो रैलियां
दिसम्बर 2017 में कांग्रेस के पांच, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के एक और दो निर्दलीय विधायक एनपीपी में शामिल हो गए थे. वहीं 2018 की जनवरी में कांग्रेस के एक, एनसीपी के एक और दो निर्दलीय विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. मेघालय में पीएम मोदी ने कुल दो रैलियां की हैं तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने यहां नौ रैलियां की हैं.