नई दिल्ली: त्रिपुरा में आज विधानसभा चुनावों के नतीजों के लिए वोटों की गिनती होगी. यहां 18 फरवरी को मतदान हुआ था. मतगणना सुबह 8 बजे शुरू होगी. त्रिपुरा में विधानसभा की 60 सीटें हैं लेकिन 59 सीटों पर ही चुनाव हुए क्योंकि चरिलम सीट पर CPM उम्मीदवार के निधन से वहां चुनाव नहीं हुआ. त्रिपुरा में 25 सालों से यानि 1993 से सीपीएम की सरकार है. 20 साल से माणिक सरकार यहां के मुख्यमंत्री हैं.


2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पूरब के राज्यों में चुनाव की अहमियत बढ़ गई है. पूरब में अगर बीजेपी जीती तो मोदी लहर पर एक बार फिर जनता की मुहर लग जाएगी. कांग्रेस के लिए भी पूरब का चुनाव लोकसभा चुनाव से पहले माहौल बनाने का अच्छा मौका है.


ढाई दशक से सीपीएम की सरकार
त्रिपुरा की बात करें तो यहां पिछले ढाई दशक से सीपीएम+ की सरकार है. 20 साल से माणिक सरकार मुख्यमंत्री हैं. त्रिपुरा में माणिक सरकार बेहद लोकप्रिय हैं. लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़ों की माने तो बीजेपी सीपीएम का खेल बिगाड़ सकती है.


2013 में नहीं खुला था बीजेपी का खाता
बता दें कि साल 2013 में हुए चुनाव में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था. त्रिपुरा में प्रधानमंत्री मोदी ने सात, राहुल गांधी ने 10 और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने नौ रैलियां की हैं.


सीपीएम के लिए हार जीत के मायने
सीपीएम हारी तो लेफ्ट का ढाई दशक पुराना किला ढहेगा. सीपीएम हारी तो सिर्फ केरल में ही सीपीएम की सरकार बचेगी. हार से लेफ्ट पार्टी में नेतृत्व पर सवाल उठ सकते हैं.


बीजेपी के लिए हार जीत के मायने
बीजेपी जीती तो पूर्वोत्तर में एक और राज्य में कामयाबी हासिल कर लेगी. गैर हिंदी राज्य में जीत बीजेपी के लिए उपलब्धि कही जाएगी. सीएम योगी के प्रचार के असर पर मुहर लगेगी.