दिल्ली के हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टर्स 5 अक्टूबर से हड़ताल पर हैं. कोरोना जैसी कठिन परिस्थितियों के बीच भी उन्हें पिछले 4 महीनों से वेतन नहीं मिला है. लचीली पड़ी सरकारी नीतियों के चलते राजधानी दिल्ली के हिंदू राव अस्पताल के लगभग 212 रेजिडेंट डॉक्टर्स और 300 नर्सेज सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं.


5 अक्टूबर से ये वेतन की मांग कर रहे थे उसके बाद भी कोई सुनवाई ना होने के चलते 48 घंटे का अल्टीमेटम जारी कर अब ये मेडिकल वर्कर्स अनिश्चित हड़ताल पर चले गए हैं. जिसके बाद दिल्ली के स्वास्थ मंत्री सत्येन्द्र जैन ने ये घोषणा की है कि ऐसे में कोरोना का इलाज करवा रहे मरीजों को दिल्ली के सरकारी अस्पताल में शिफ्ट करवाया जाएगा.


दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि अस्पताल के कर्मचारियों को उनके वेतन का भुगतान किया जाना चाहिए. अगर दिल्ली नगर निगम हिंदू राव और कस्तूरबा अस्पतालों को चलाने में सक्षम नहीं है, तो उन्हें राज्य सरकार को सौंप देना चाहिए.


MCD ने दिल्ली सरकार पर लगाया राजनीति का आरोप
दिल्ली सरकार पर पलटवार करते हुए नार्थ दिल्ली एमसीडी के मेयर जय प्रकाश ने कहा कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन हिंदूराव अस्पताल को लेकर राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब से हिंदूराव अस्पताल को कोविड-19 अस्पताल में तब्दील किया गया है तब से लेकर आज तक दिल्ली सरकार ने एक भी पैसा हिंदूराव अस्पताल के लिए नहीं दिया, जिसके संबंध में उन्होंने कई बार समीक्षा बैठक भी की है.


वहीं दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स भी हिन्दू राव में प्रदर्शन कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर्स के समर्थन में उतरे और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखी. उन्होंने लिखा कि कोरोना से लगातार लड़ रहे हमारे साथी डॉक्टर्स अपने वेतन की मांग को लेकर सड़क पर उतरने को मजबूर हैं. शुरू से ही ये अस्पताल कोरोना का इलाज कर रहा है और लोगों की जान बचा रहे वर्कर्स अपने मूल वेतन के अधिकार से भी वंचित हैं. उनकी इस लड़ाई में एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स उनके साथ खड़ें हैं और मुख्यमंत्री इस बात का संज्ञान लें साथ ही इस मसले पर उचित कार्रवाई हो.


नर्सिंग स्टाफ के सामने कई चुनौतियां
वेतन ना मिलने के मुद्दे पर नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि होटल में रहना पड़ता है. 14 दिन पैसे नहीं देने की वजह से बिजली भी काट देते हैं होटल वाले. जून से सैलरी नहीं मिली है, काफी लोन है, काफी परेशानियां आ रहीं हैं. उनकी यही मांग है कि समय पर सैलरी दी जाए. पेट भरने के लिए खाना तो होना चाहिए. इनके सामने पारिवारिक चुनौतियां भी हैं. बच्चों के स्कूल की फीस भी देना है और लोन कि रकम भी अदा करनी है.


फाइनल ईयर कि रेजिडेंट डॉक्टर उर्वशी शर्मा कहती हैं कि कोरोना जैसी महामारी से फ्रंटलाइन पर मुकाबला करने वाले डॉक्टर्स के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है. म्यूनिसिपल कॉरपोशन दिल्ली सरकार को दोष देती है और दिल्ली सरकार नगर निगम को दोष देती है. डॉक्टर्स को राजनीतिक फुटबॉल की तरह यहां से वहां भटकाया जा रहा है.


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