Hindus Minority Status Case: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से उन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग पर विचार-विमर्श करने के लिए समय मांगा है, जहां उनकी संख्या दूसरों से कम हो गई है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि "मामला प्रकृति में संवेदनशील है और इसके दूरगामी प्रभाव होंगे." एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय और अन्य की याचिकाओं के जवाब में सोमवार को दायर अपने चौथे हलफनामे में केंद्र ने कहा कि उसे इस मुद्दे पर अब तक 14 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों से टिप्पणियां मिली हैं.
याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा?
याचिकाकर्ताओं ने परामर्श प्रक्रिया की कानूनी पवित्रता पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि मामले में फैसले के बाद केंद्र अब किसी को अल्पसंख्यक के रूप में अधिसूचित नहीं कर सकता है. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत जो भी विचार-विमर्श किया जा सकता है, वह "किसी राज्य में किसी को भी अल्पसंख्यक दर्जा की पुष्टि नहीं कर सकता."
केंद्र ने की हितधारकों के साथ परामर्श बैठक
टीएमए पाई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्धारित किया कि अनुच्छेद 30 के प्रयोजनों के लिए जो अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के अधिकारों से संबंधित है. धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को राज्य स्तर पर पहचानना होगा. सोमवार के हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने "सभी राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श बैठकें की हैं."
इसमें कहा गया, "कुछ राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों ने इस मामले पर अपनी राय बनाने से पहले सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श करने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया है. राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया था कि तात्कालिकता को देखते हुए इस मामले में, उन्हें इस संबंध में हितधारकों के साथ तेजी से कार्य करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि राज्य सरकार के विचारों को अंतिम रूप दिया गया है और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को जल्द से जल्द अवगत कराया गया है."
14 राज्यों ने भेजी अपनी टिप्पणी
केंद्र ने कहा, "14 राज्य सरकारें पंजाब, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, ओडिशा, उत्तराखंड, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, गोवा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और 3 केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव और चंडीगढ़ ने अपनी टिप्पणियां/विचार प्रस्तुत किए हैं. इसी के साथ अन्य 19 राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी टिप्पणी जल्द से जल्द भेजने के लिए कहा गया है, ताकि इसे अदालत के सामने रखा जा सके."
केंद्र ने कहा, "चूंकि मामला प्रकृति में संवेदनशील है और इसके दूरगामी प्रभाव होंगे. अदालत कृपया राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों और हितधारकों को सक्षम करने के लिए और अधिक समय देने पर विचार कर सकती है, जिनके साथ परामर्श बैठकें पहले ही हो चुकी हैं. मामले में अपने सुविचारित विचारों को अंतिम रूप दें."
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