Sukhoi Fighter Jets: सुखोई में फिट होंगे स्वदेशी 'एयरो-इंजन', फाइटर जेट की दहाड़ से डरेंगे दुश्मन, 26000 करोड़ की डील डन
Sukhoi Fighter Jets: भारतीय वायुसेना के पास 272 सुखोई विमान हैं. दो इंजन वाले सुखोई विमान में अब नए इंजन को फिट करने की तैयारी हो रही है. इसके लिए एचएएल को काम सौंपा गया है.
Sukhoi-30MKI Fighter Jets: सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने सोमवार (2 सितंबर) को भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों के लिए 240 एयरो-इंजन की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी. वायुसेना के पास रूसी मूल के 272 सुखोई लड़ाकू विमान हैं. ये फाइटर प्लेन भारतीय वायुसेना के जेट विमानों का सबसे बड़ा बेड़ा है. सुखोई विमानों में AL-31FP इंजन का इस्तेमाल होता है, जिसका डिजाइन रूस में हुआ है. नए इंजन से विमानों को ज्यादा मजबूती मिलने वाली है.
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) 26 हजार करोड़ रुपये की लागत से इन इंजनों को तैयार करेगी. एचएएल में सबसे बड़ी हिस्सेदारी रक्षा मंत्रालय की है. रक्षा मंत्रालय ने कहा, "एचएएल के जरिए इन एयरो-इंजन की सप्लाई वायुसेना के बेड़े की जरूरतों को पूरा करेगी, ताकि वह अपने ऑपरेशन को जारी रखते हुए देश की रक्षा तैयारियों को मजबूत कर सके. इन एयरो-इंजन की डिलीवरी एक साल बाद शुरू होगी और आठ साल की अवधि में सारे इंजन सौंप दिए जाएंगे."
स्वदेशी होगा सुखोई विमान का इंजन
इंजनों में 54 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशी चीजें लगाई जाएंगी. इनका निर्माण एचएएल के कोरापुट डिवीजन में किया जाएगा. कोरापुट डिवीजन ओडिशा में मौजूद है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, इंजनों के निर्माण के लिए रूस से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी होगा. सिर्फ कुछ स्पेयर, फोर्जिंग और कास्टिंग को बाहर से आयात करना पड़ सकता है. एचएएल का अनुमान है कि पूरे सुखोई विमानों के बेड़े के लाइफ साइकिल के दौरान वायुसेना को लगभग 900 इंजनों की जरूरत पड़ने वाली है.
क्यों पड़ी सुखोई विमान के लिए नए इंजन की जरूरत?
द ट्रिब्यून ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि रूस यूक्रेन के साथ जंग लड़ रहा है, जिसकी वजह से भारत को होने वाली इंजन की सप्लाई बाधित हो रही थी. ऊपर से सुखोई विमानों के बेड़े में शामिल कुछ विमान ऐसे हैं, जो 20 साल पुराने हैं. विमानों के इंजन को एक निश्चित फ्लाइंग ऑवर्स के बाद बदलना पड़ता है. दो इंजन वाला सुखोई विमान भारतीय वायुसेना के सबसे शक्तिशाली और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बेड़ों में से एक है.
क्या होता है एयरो-इंजन का फायदा?
एयरो-इंजन कम ईंधन का इस्तेमाल करते हैं. इससे कम मात्रा में कार्बन भी निकलता है. साथ ही साथ विमान में वाइब्रेशन भी कम हो जाता है. एयरो-इंजन की वजह से विमान को ज्यादा ऊंचाई पर उड़ाना आसान हो जाता है. इस इंजन की वजह से विमान की फ्लाइट रेंज भी बढ़ जाती है और लंबी उड़ानों में ये बहुत ज्यादा कारगर साबित होते हैं.
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