India After Gandhi Released: इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने दावा किया है कि सुभाष चंद्र बोस अहिंसा को छोड़कर अधिकतर मुद्दों पर महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू से सहमत थे तथा उन्हें यह जानकर ‘‘शर्मिंदगी और पीड़ा’’ होती कि उनका इस्तेमाल इन दोनों नेताओं को कमतर दिखाने के लिए किया जा रहा है.


‘इंडिया आफ्टर गांधी’ के तीसरे संस्करण के विमोचन के अवसर पर गुहा ने मंगलवार (31 जनवरी) को अपने संबोधन में कहा कि यह बोस ही थे जिन्होंने गांधी को ‘‘राष्ट्रपिता’’ कहा था. उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि ‘‘वे (BJP) गांधी, बोस, नेहरू और पटेल को कैसे एक-दूसरे का प्रतिद्वंद्वी दर्शाने में कामयाब रहे, जिन्होंने साथ मिलकर काम किया था.’’


गांधी और नेहरू से सहमत थे बोस


गांधी के जीवनी लेखक गुहा ने कहा, ‘‘अहिंसा को छोड़कर ज्यादातर चीजों पर बोस, गांधी और नेहरू से सहमत थे. यह जो भी कुछ हो रहा है कि बोस का इस्तेमाल गांधी और नेहरू को कमतर दिखाने के लिए किया जा रहा है उससे चकित, शर्मिंदा और दुखी होने वाले वह (बोस) पहले व्यक्ति होते.’’ उन्होंने जिक्र किया कि बोस ने आजाद हिंद फौज की ब्रिगेड का नाम ‘गांधी, नेहरू और आजाद (चंद्रशेखर)’ रखा तथा 1945 में बोस की मृत्यु की खबर के बाद गांधी ने कोलकाता में अपने भाषण में बोस की देशभक्ति को सलाम किया.






कांग्रेस और फिर बीजेपी को दोष देना होगा


उन्होंने कहा, "वे दो असाधारण अवसर चूक गए और आपको पहले कांग्रेस और फिर बीजेपी को दोष देना होगा कि उन्होंने न केवल राष्ट्रीय हित के ऊपर बल्कि दक्षिण एशिया में शांति की संभावना पर क्षुद्र पार्टी हित को रखा." पहली बार 2007 में पब्लिशिंग हाउस पैन मैकमिलन इंडिया द्वारा जारी, "इंडिया आफ्टर गांधी" को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के दर्द, संघर्ष, अपमान और गौरव का एक मजिस्ट्रियल खाता माना जाता है.


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