जानिए- हिंदू मान्यताओं में कितना अहम हैं पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ और जानकी मंदिर
पीएम मोदी ने अपने 2 दिन के नेपाल के दौरे पर पहले जानकी मंदिर, फिर मुक्तिनाथ मंदिर और पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की है. हिंदू मान्याताओं में इन तीनों की मंदिरों को बेहद अहम माना जाता है.
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काठमांडू: पीएम मोदी की नेपाल यात्रा का आज दूसरा और आखिरी दिन है. मोदी ने सुबह मुक्तिधाम मंदिर में दर्शन करने के बाद पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की. इससे पहले पीएम मोदी ने अपने दौरे के पहले दिन जानकपुर के जानकी मंदिर में पूजा-अर्चना की. मोदी ने चार पहले जानकी मंदिर के दर्शन की इच्छा जताई थी.
पीएम मोदी के नेपाल दौरे को कर्नाटक विधानसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि नेपाल के मंदिरों में पूजा-अर्चना के जरिए मोदी कर्नाटक के हिंदू वोटरों को साधना चाह रहे हैं. नेपाल के ये तीनों मंदिर हिंदू मान्याताओं में बेहद अहम स्थान रखते हैं.
पशुपतिनाथ मंदिर: नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर हिंदू मान्यताओं में काफी अहम और आदि शंकराचार्य परंपरा से जुड़ा हुआ है. यह मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू के उत्तर-पश्चिम में स्थित है. पशुपतिनाथ मंदिर को नेपाल का सबसे पौराणिक मंदिर माना जाता है. इतना ही नहीं यूनेस्को ने भी इस मंदिर को विश्व की सांस्कृतिक विरासत स्थल की लिस्ट में रखा है. पशुपतिनाथ मंदिर में शिवरात्रि के त्योहार को बेहद ही खास तरीके से मनाया जाता है.
मुक्तिनाथ मंदिर: मुक्तिनाथ मंदिर भी नेपाल का मशहूर मंदिर है. मान्याताओं में मुक्तिनाथ मंदिर को वैष्णव संप्रदाय का मंदिर बताया जाता है. दरअसल, इस मंदिर की पहचान शालिग्राम भगवान के तौर पर है. हिंदू मान्याताओं में शालिग्राम भगवान को पूज्यनीय माना जाता है.
इस मंदिर के साथ कई सारी पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. इन्हीं में से एक मान्यता है कि जब शिव जालधंर नामक असुर से युद्ध नहीं जीत पा रहे थे तो विष्णु ने उनकी मदद की और वह युद्ध जीतने में कामयाब हुए.
जानकी मंदिर: जानकी मंदिर नेपाल के जनकपुर में स्थित है. मान्याताओं के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण सीता माता को समर्पित करते हुए हुआ था. मान्याताओं में यह भी कहा गया है कि इस मंदिर में सीता माता शादी से पहले रहा करती थीं. जानकी मंदिर का दूसरा नाम नौलखा मंदिर है. बताया जाता है कि यह मंदिर 1911 में बनकर तैयार हुआ था. और इसे नौलखा मंदिर इसलिए कहा जाता है क्योंकि उस समय उसके निर्माण पर करीब 9 लाख रुपये खर्च हुए थे.
इस मंदिर से जुड़ी हुई एक मान्यता यह भी है कि यहां सीता माता की एक मूर्ति मिली थी, जिसे इस मंदिर में स्थापित किया गया है. यह मंदिर करीब 4860 वर्ग फ़ीट में फैला हुआ है.
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