नई दिल्ली: दिल्ली, दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है जिसकी पुरानी इमारतें गुज़रे ज़माने के बादशाहों की दास्तान बयान करतीं हैं. यह शहर कई राजवंशों, जैसे ख़िलजी(12वीं सदी), तुग़लक़ (14वीं सदी) और मुग़ल (17वीं सदी) की पसंदीदा राजधानी रह चुकी है. हालांकि इस शहर का मौसम साल के अधिकतर समय नाख़ुशगवार रहता है, फिर भी इसके अपने आकर्षण हैं. इसकी पश्चिमी सीमा पहाड़ियों (दिल्ली रिज़) से सुरक्षित है, जबकि पूर्वी सीमा युमना नदी से घिरी है. इस शहर की ख़ास बात यह थी कि अविभाजित भारत के शहर कराची, बंबई (अब मुंबई) और कलकत्ता (अब कोलकाता) के प्रमुख बंदरगाहों से इसकी दूरी लगभग बराबर है. सुरक्षा की दृष्टि से भी यहां से भारत के दूसरे हिस्सों तक पहुंचना बहुत ही आसान है.


इसकी खूबसूरती आंखों की पुतलियों पर ठहर जाती है. हाथ के आईने में इस शहर को बार-बार देखने को दिल करता है. दिल्ली जब-जब बुलाती है लोग दौड़े चले आते हैं. यह शहर जितना महामहिम का है उतना ही मामूली लोगों का भी. यह शहर सिर्फ निगहबानों की नहीं बल्कि इंसानों की भी कहानी है. यहां लोग आशिक होकर आते हैं, महबूब बनकर आते हैं, माशूक बनकर आते हैं और इंसान बन कर यहां की फिज़ाओं के होकर रह जाते हैं.


कहानी तो इस शहर की अपनी भी है.कई बार बसने की और उससे भी ज्यादा उजड़ने की. महाभारत काल से यह सिलसिला चल रहा है. मध्यकाल में यह शहर लम्बे समय तक भारत की सत्ता का केंद्र रहा. आधुनिक काल में भी वह सत्ता का केंद्र है. दिल्ली यानि सत्ता और सफलता.


दिल्ली फिर एक बार चर्चा में हैं. इस बार भी अपने नाम को लेकर..दिल्ली बीजेपी के वरिष्ठ नेता, राज्यसभा के सांसद और पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल ने बुधवार को संसद में दिल्ली के अंग्रेजी नाम की स्पेलिंग बदलने की मांग की. गोयल ने मांग रखी है कि दिल्ली की स्पेलिंग Delhi के बजाय Dilli की जाए. इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया है कि डेल्ही नाम में दिल्ली की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत की झलक नहीं मिलती है, इसलिए अंग्रेजी में भी इस शहर के नाम की स्पेलिंग दिल्ली ही होनी चाहिए. उन्होंने जल्द ही गृह मंत्रालय को इस संदर्भ में एक प्रस्ताव भेजने की बात भी कही है.


विजय गोयल नई दिल्ली की बात कर रहे थे, लेकिन नई दिल्ली तो 1911 में बनी है. इससे पहले दिल्ली शहर का तो इंद्रप्रस्थ से लेकर शाहजहानाबाद का लंबा सफर रह चुका है. नाम और शहर की सूरत कई बार बदली. आइए जानते हैं कब-कब इस शहर को क्या-क्या नाम मिला.


कब-कब बसा कौन सा शहर


दिल्ली का सबसे पुरातन नाम तो इंद्रप्रस्थ ही है. कभी राजधानी रही इंद्रप्रस्थ नाम से अब दिल्ली में एक इलाका है. दिल्ली का पहला ज़िक्र महाभारत में मिलता है जहां 'इंदरपथ' यानि इंद्रप्रस्थ के रुप में पांडवों पहली बार दिल्ली को बसाया. माना जाता है कि उस जगह आज पुराने किले के खंडहर हैं.


इसके बाद इसका नाम दिल्ली (100 ईसा पूर्व) पड़ा. भारतीय महाकाव्य महाभारत में प्राचीन इन्द्रप्रस्थ, की राजधानी के रूप में जाना जाता है. दिल्ली के बाद सुरजकुंड (1024 ईसवी) में राजधानी बनी अब नई दिल्ली का एक इलाका है. जो बदरपुर के पास है. इसके बाद इसका नाम लाल कोट पड़ा जो राजाओं की राजधानी बनी. यह वर्तमान दिल्ली क्षेत्र का प्रथम निर्मित नगर था. इसकी स्थापना तोमर शासक राजा अनंग पाल ने 1060 में की थी. साक्ष्य बताते हैं कि तोमर वंश ने दक्षिण दिल्ली क्षेत्र में लगभग सूरज कुण्ड के पास शासन किया, जो 700AD से आरम्भ हुआ था. फिर चौहान राजा, पृथ्वी राज चौहान ने बारहवीं शती में शासन ले लिया और उस नगर एवं किले का नाम किला राय पिथौरा (1170 ईसवी) रखा.


दिल्ली को फिर किलकोरी (1288 ईसवी) और सिरी (1302 ईसवी) नाम से जाना गया. सिरी शहर का 1303 में अलाउद्दीन ख़िलज़ी द्वारा बनाया गया था. 1320 ईसवी में तुगलकाबाद शहर की स्थापना गयासुद्दीन तुगलक ने की. आज भी यह शहर दिल्ली का हिस्सा है.


1334 ईसवी में जहांपनाह शहर को मुहम्मद-बिन-तुगलक ने बनवाया. यह दिल्ली का चौथा मध्ययुगीन शहर था जिसे मंगोलों के लागातार हो रहे आक्रमण से बचने के लिये बनवाया गया था और वर्तमान में यह दक्षिणी दिल्ली में स्थित है. इसके बाद फ़िरोज़ाबाद (1351 ईसवी), ख़िज़राबाद (1415 ईसवी), मुबारकाबाद (1433 ईसवी), दिनपनाह (1530 ईसवी) और फिर दिल्ली (1542 ईसवी) में बसाया गया.


इसके बाद महान मुगल निर्माता शाहजहां ने 1648 में शाहजहानाबाद का निर्माण करवाया. शाहजहां की दिल्ली, पहले निर्मित शहरों की तुलना में अधिक आकर्शक था. शाहजहां ने बड़े स्तर पर निर्माण कार्य करवाया, जैसा कि लाल किला और जामा मस्जिद के उदाहरण देखे जा सकते हैं. शाहजहानाबाद शहर आज पुरानी दिल्ली के नाम से जानी जाती है.


1911 में अंग्रेजों ने नई दिल्ली को राजधानी बनाया. दरअसल भारत पर अंग्रेज शासनकाल के दौरान सन् 1911 तक भारत की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) था. अंग्रेज शासकों ने यह महसूस किया कि देश का शासन बेहतर तरीके से चलाने के लिए कलकत्ता की जगह यदि दिल्‍ली को राजधानी बनाया जाए तो बेहतर होगा क्‍योंकि य‍ह देश के उत्तर में है और यहां से शासन का संचालन अधिक प्रभावी होगा. इस पर विचार करने के बाद अंग्रेज महाराजा जॉर्ज पंचम ने देश की राजधानी को दिल्‍ली ले जाने के लिए आदेश दे दिए और नई दिल्ली के रूप में दिल्ली का एक और नए शहर का निर्माण किया गया.


दिल्ली कई बार बसी और कई बार उजड़ी. हुकूमतों ने इसे लूटा भी और बसाया भी. लेकिन यह शहर आजतक गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बना हुआ है. यहां निजामुद्दीन औलिया और बख्तियार काकी के मजार के इर्द गिर्द आज भी तमाम जातियों और मजहबों के हुजूम एकसाथ देखने को मिलता है. बंगला साहिब गुरुद्वारा भी इस शहर की शान हैं. अक्षरधाम मंदिर नए निर्माण की एक अद्भुत मिसाल है और यही इस शहर की कहानी भी है, जो सभी को जोड़ती है.