नई दिल्ली: दुनिया के नक्शे पर भारत और पाकिस्तान दो ऐसे देश हैं जिनकी आपसी खटास जग जाहिर है. दोनों देशों के बीच की कड़वाहट समय-समय पर सामने आती रही हैं. अभी ताजा घटना में पाकिस्तान की आर्मी कोर्ट ने भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने मौत की सजा सुनाई है. इसे लेकर एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच तलवारें खिंच गई हैं.
पाकिस्तान ने कुलभूषण को रॉ का एजेंट बताते हुए जासूसी का आरोप लगाया था, लेकिन भारत की सरकार ने पाकिस्तान के आरोपों का लगातार खंडन किया है. लेकिन ये पहला मौका नहीं है, जब पाकिस्तान ने किसी भारतीय तो जासूस बताकर मौत की सज़ा सुनाई हो या फांसी के फंदे पर चढ़ाया हो.
पाकिस्तान ने शेख शमीम को भारतीय जासूस बताकर सजा-ए-मौत दे दी थी. साल 1999 में शेख को पाकिस्तान में फांसी दे दी गई. इस घटना के डेढ़ दशक बाद साल 2013 में पाकिस्तान की जेल में कैदियों के हमले में भारतीय नागरिक सरबजीत सिहं की मौत हो गई थी, उनपर भी जासूसी का आरोप था. सरबजीत पाकिस्तान की जेल में 16 साल तक रहे.
सरबजीत की मौत के कुछ महीनों बाद एक पाकिस्तानी कैदी को जम्मू की जेल में दूसरे कैदियों ने मिलकर मार डाला. हालांकि, तल्ख रिश्तों के बीच साल 2008 में दोनों देशों के बीच खुशगवार हवा भी चली. पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशरर्फ ने पाकिस्तान में कैद कश्मीर सिंह नाम के भारतीय की सजा माफ कर दी थी. कश्मीर सिंह पर भी जासूसी का आरोप लगाया गया था. पाकिस्तान की जेल में 35 साल बिताने के बाद कश्मीर सिंह को वापस भारत भेज दिया गया. कश्मीर सिंह को भी मौत की सजा सुनाई गई थी.
वहीं एक और भारतीय कैदी की पाकिस्तान की जेल में मौत हो गई. रवींद्र कौशिक नाम के भारतीय पर भी पाकिस्तान ने जासूसी का आरोप लगाया था. रवींद्र को तपेदिक हो गया, जिसकी वजह से साल 2001 में उसकी मौत हो गई.
जहां एक तरफ पाकिस्तान में कई भारतीयों को सजा सुनाई गई वहीं दूसरी तरफ इस मामले में भारत का रिकॉर्ड अलग रहा है. भारत ने अब किसी पाकिस्तान जासूस को फांसी की सजा नहीं दी है. पिछले साल सरकार ने राज्यसभा में बताया कि साल 2013-16 के दौरान पाकिस्तान के 46 जासूसों को भारत ने पकड़ा. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने बताया कि साल 2014-16 के दौरान 250 से ज्याद पाकिस्तानी नागरिकों को भारत ने छोड़ दिया.