लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या को अंजाम देने वाले वाला विकास दुबे का अपराध जगत से गहरा नाता रहा है. राजनीति संरक्षण के कारण उसका अपराध फलता- फूलता रहा. अपने संरक्षण के लिए राजनीति का भी उसने चोला ओढ़ रखा था. पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद फरार विकास दुबे अभी तक पुलिस की पकड़ से दूर है. पुलिस टीमें लगातार उसे पकड़ने के लिए छापेमारी अभियान चला रही है. इसके खिलाफ 60 अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं.


राजनीतिक संरक्षण में करता रहा अपराध
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का जघन्य आपराधिक इतिहास रहा है. बचपन से ही वह अपराध की दुनिया का बेताज बदशाह बनना चाहता था. इसीलिए उसने अपना एक गैंग बनाकर लूट, डकैती, हत्याएं करने लगा. कई नव युवा साथियों को साथ लेकर चलने वाला विकास कानपुर नगर और देहात का वांछित अपराधी बन गया.


चुनावों में अपने आतंक और दहशत से हार जीत भी तय करता था. लेकिन राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने के कारण लगातार बचता रहा है. 1995- 96 में अपने को बचाने के लिए बीएसपी में शामिल हो गया था. इसके बाद जिलापंचायत सदस्य भी बना. इसके बाद उसकी पत्नी जिला पंचायत का चुनाव एसपी के समर्थन से लड़ी है. 20 सालों से अभी तक उसे किसी मामले में सजा न होने के पीछे उसका राजनीतिक घुसपैठ मजबूत होना ही है.


विकास पर आपराधिक मामले
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी है. 2000 में कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्घेश्वर पांडेय की हत्या में भी विकास का नाम आया था. कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र में ही 2000 में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकास पर जेल के भीतर रहकर साजिश रचने का आरोप है.


2004 में केबल व्यवसायी दिनेश दुबे हत्या मामले में भी विकास पर आरोप है. वहीं 2018 में अपने ही चचेरे भाई अनुराग पर विकास दुबे ने जानलेवा हमला करवाया था. इस दौरान भी विकास जेल में बंद था और वहीं से सारी साजिश रची थी. इस मामले में अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों को नामजद किया था.


वरिष्ठ पत्रकार प्रांशु मिश्रा बताते हैं कि "2001 में संतोष शुक्ला की थाने के अंदर हत्या करने के बाद विकास दुबे अपराध की दुनिया में उसकी तूती बोलती थी. इसे हर पार्टी का राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था. इसी कारण इतने ज्यादा मुकदमें होंने के बावजूद 20 सालों से इसका कोई कुछ कर नहीं सका. इसकी कानपुर देहात क्षेत्र में तूती बोलती थी. कुछ बिगड़ैल नौजवान इसे अपना रोल मॉडल भी मानते थे. इसकी सिस्टम अंदर घुसपैठ भी थी."


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