हिजबुल कमांडर रियाज नायकू के परिजनों को नहीं मिलेगा शव, परिवार की मौजूदगी में दफनाया जाएगा
रियाज नायकू के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में बीएसएनएल को छोड़कर सभी मोबाइल नेटवर्क पर वॉयस कॉलिंग को बंद कर दिया गया है. इंटरनेट और एसएमएस की सुविधा भी बंद कर दी गई है.
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नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों ने बुधवार को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नायकू को मार गिराया. आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से ये सुरक्षाबलों के निशाने पर था. नायकू को जम्मू कश्मीर के गंदेरबल जिले के सोनमार्ग में दफनाया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, नए प्रोटोकॉल के चलते उसके शव को परिवार को नहीं सौपा जाएगा. हालांकि, परिवार के सदस्य की मौजूदगी में ही रियाज नायकू के शव को दफनाया जाएगा.
कश्मीर घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद
इसके अलावा रियाज नायकू के मारे जाने के बाद कश्मीर में मोबाइल इंटनेट और एसएमएस की सुविधा को बंद कर दिया गया है. बीएसएनल को छोड़कर सभी मोबाइल नेटवर्क पर वॉयस कॉलिंग को बंद कर दिया गया है.
क्यों परिवार को नहीं दिया जाएगा शव?
दरअसल, सोपोर जिले में कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद बाद एक मिलिटेंट का शव जब परिवार को दिया गया तब काफी संख्या में लोग उसमें शामिल हुए थे. इसमें बाद प्रशासन और पुलिस ने ये तय किया था कि जितने भी आतंकी एनकाउंटर में मारे जाएंगे, उनके शव परिवारों को न देते हुए अज्ञात जगहों पर दफना दिया जाएगा. दफनाने की प्रकिया मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में होगी और जिस आतंकी की पहचान होगी उसके परिवार के सदस्यों को बुलाकर उनके सामने दफना दिया जाएगा.
ये सिर्फ आतंकियों के लिए नहीं है. दो दिन पहले हंदवाड़ा में आंतकियों ने सीआरपीएफ के जवानों पर हमला कर दिया था. इसके बाद एनकाउंटर शुरू हो गया. इस एनकाउंटर में एक चौदह साल के युवक की जान चली गई थी, उसके शव को भी परिजनों को नहीं दिया गया था. जो प्रोटोकॉल बना हुआ है वो कोविड-19 के मद्देनजर बनाया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि प्रतिबंधित आतंकवादी समूह हिजबुल मुजाहिदीन के ऑपरेशनल कमांडर रियाज नायकू को पुलवामा के बेगपुरा गांव में घेर लिया गया था. मुठभेड़ में वह मारा गया. उसके साथी ने भागने की कोशिश की लेकिन सुरक्षा बलों के हाथों वह भी मारा गया. तीन मई को हंदवाड़ा में दो सैन्य अधिकारी कर्नल आशुतोष शर्मा ओर मेजर अनुज सूद सहित आठ सुरक्षा कर्मी आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे. हाल के वर्षों में सेना को हुआ यह सबसे बड़ा नुकसान है.
तीन बार पुलिस के हाथों से बच निकला था रियाज नायकू
32 साल के नायकू पर 12 लाख रुपये का इनाम था और तीन बार वह पुलिस के हाथों से बच निकला था. एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस बार पूरी सावधानी बरती गई और यह भी ध्यान रखा गया कि अन्य किसी तरह का नुकसान न होने पाए.
जम्मू-कश्मीर: सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी, एनकाउंटर में हिजबुल का कमांडर रियाज नायकू ढेर
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