श्रीनगर: कश्मीर घाटी में आतंकियों के सफाए से परेशान आतंकी संगठन हिज्बुल ने नया पैंतरा चला है. सूत्रों ने बताया है कि हिजबुल मुजाहिद्दीन ने नए आतंकियों की भर्ती के लिए नई शर्त रखी है. शर्त है कि उन्हें तंजीम में शामिल करने से पहले सुरक्षाबलों के खिलाफ कोई आतंकी हमला करके अपने-आप को 'प्रूव' करना होगा.
सीधे किसी भी युवक की संगठन में एंट्री नहीं
सूत्रों के मुताबिक, इंटेलीजेंस एजेंसियों ने सेना को जो अलर्ट जारी किया है, उसमें खासतौर से पुलवामा और दक्षिण कश्मीर का जिक्र किया गया है. खुफिया इनपुट की मानें तो हिजबुल मुजाहिद्दीन (एचएम) नाम के आंतकी संगठन ने साफ कर दिया है कि वो अब स्थानीय कश्मीरी युवकों को तभी अपने आतंकी संगठन में शामिल करेगा, जब वे युवक पहले किसी आतंकी घटना को अंजाम देंगे. सीधे किसी भी युवक को संगठन में शामिल नहीं किया जायेगा.
ऑपरेशन-ऑल आउट में बड़ी तादाद में हुआ आतंकियों का सफाया
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, हिजबुल मुजाहिद्दीन ने अपने रिक्रेंटमेंट में तब्दीली इसलिए की है, क्योंकि पिछले एक-दो साल में सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन-ऑल आउट में बड़ी तादाद में आतंकियां का सफाया किया है. इसका एक बड़ा कारण ये है कि खुफिया एजेंसियों ने कश्मीरी युवकों में अपना 'इनरूट' बना लिया है. ये युवक आतंकी संगठन ज्वाइन करने के बाद आतंकियों की लोकेशन की जानकारी सुरक्षाबलों से साझा कर रहे थे. यही वजह है कि पिछले दो सालों में मारे गए आतंकियों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ.
जानकारी के मुताबिक, यही वजह है कि इस साल आतंकियों की भर्ती में गिरावट आई है. इस साल अबतक मात्र 50 आतंकी ही हिजबुल या फिर जैश ए मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों में भर्ती किए गए हैं. जबकि पिछले छह महीनों में मारे गए आंतकियों की संख्या तीन का आंकड़ा पार कर चुकी है (अबतक मारे गए आतंकियों की संख्या 114 हो चुकी है).
कब-कब कितने आतंकी भर्ती किए गए?
आतंकियों की भर्ती की बात करें तो साल 2015 में कुल 66 लड़कों की अलग-अलग आतंकी संगठनों में रिक्रूटमेंट हुई थी. साल 2016 में ये आंकड़ा 88 का था और 2017 में 128 था, वहीं साल 20-18 में ये आंकड़ा करीब 100 का था. आतंकी बने नौजवानों में ज्यादातर तादाद दक्षिण कश्मीर की थी. जहां के अनंतनाग, त्राल, पुलवामा और कुलगाम से सबसे ज्यादा लड़कों ने हथियार उठाए.
बता दें कि हिजबुल मुजाहिद्दीन मुख्यत: स्थानीय कश्मीरी युवकों का संगठन है. हालांकि, एचएम का संस्थापक सैय्यद सलाहुद्दीन पाकिस्तान में शरण लिए हुए है लेकिन इस तंजीम में सभी आतंकी स्थानीय कश्मीरी युवक हैं. लश्कर और जैश में भी कुछ स्थानीय लड़के हैं लेकिन वे अधिकतर वहीं हैं जो पहले हिजबुल में सक्रिय रहे हों.
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