HMPV Virus Update: चीन में अपना प्रकोप दिखाने वाले ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) ने भारत में भी पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. इस वायरस के लक्षण कोविड-19 की तरह ही हैं और छोटे बच्चों पर इसका असर देखने को मिल रहा है. हालांकि हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि एचएमपीवी वायरस को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है. इन सब के बीच एक नई स्टडी सामने आई है, जिसमें बच्चों पर इसके प्रभाव के बारे में बताया गया है.
रीजनल लेवल वायरल रिसर्च एवं निदान प्रयोगशाला (आरवीआरडीएल), माइक्रोबायोलॉजी विभाग, जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (जेआईपीएमईआर), पुडुचेरी, भारत और बाल रोग विभाग, जेआईपीएमईआर, पांडिचेरी, भारत के शोधकर्ताओं की ओर से की गई स्टडी में एचएमपीवी के ए2.2.1 और ए2.2.2 का नया वंश पाया है. शोधकर्ताओं ने कहा कि नवंबर 2022 और मार्च 2023 के बीच ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) का प्रकोप पाया गया. ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) को 5 साल से कम उम्र के बच्चों में तेज श्वसन संक्रमण का कारण माना जाता है.
स्टडी में शोधकर्ताओं ने क्या पाया?
स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने जनवरी 2021 से जून 2024 तक इकट्ठे किए गए नाक के नमूनों की जांच की. रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-क्वांटिटेटिव पॉलीमरेज चेन रिएक्शन का इस्तेमाल करके उन्होंने एचएमपीवी की जांच की. शोधकर्ताओं ने पाया कि ज्यादातर मामले दिसंबर और जनवरी के बीच सामने आए. एचएमपीवी एक सांस संबंधित वायरस है जिसे दो मुख्य आनुवंशिक समूहों में वर्गीकृत किया गया है: ए और बी. इसमें ए1, ए2, बी1 और बी2 सबग्रुप हैं.
ग्रुप ए स्ट्रेन्स (A1, A2a, A2b) अक्सर छोटे बच्चों और बुजुर्गों में प्रकोपों से जुड़े होते हैं. ग्रुप बी के स्ट्रेन (बी1, बी2) भी प्रचलित हैं, लेकिन विषाणुता और भौगोलिक वितरण में थोड़ा अंतर हो सकता है. दोनों ग्रुप समय के साथ म्यूटेट होते हैं, जो वैक्सीन और एंटीवायरल डेवलपमेंट को जटिल बना देता है. इसकी वजह से लगातार निगरानी जरूरत हो जाती है.
स्टडी का क्या निकला नतीजा?
hMPV वायरस 1 साल से कम उम्र के बच्चों में सबसे अधिक फैला था, जिसमें 67 प्रतिशत बच्चों को घरघराहट और 6.9 प्रतिशत बच्चों को दौरे पड़ने की समस्या थी. नवंबर 2022 और मार्च 2023 के बीच मानव मेटान्यूमोवायरस (hMPV) का जबरदस्त प्रकोप पाया गया. इसमें टेस्ट किए गए रोगियों में 9.6% सकारात्मकता दर थी. दिसंबर और जनवरी में ये अपने चरम पर था और ये अध्ययनों से मेल खाता है.
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