'HMPV वायरस को लेकर न हों पैनिक, लेकिन सावधानी जरूरी', एक्सपर्ट ने बताए प्रोटोकॉल
HMPV In India: डॉक्टर ये बताते हैं कि जिस तरह से कोरोना में सावधानी बरती गई थी कुछ इस तरह की एहतियात अभी भी की जा सकती है, जैसे मास्क लगाना, छीकते हुए नाक पर रुमाल रखना, हाथ अच्छे से धोएं.
HMPV In India: ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) को लेकर भारत मे केसेस आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ ही सभी एक्सपट्र्स भी अलर्ट हो गए हैं. इस वायरस से जुड़े केसेस को लेकर खास निगरानी की जा रही है. इस पर दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष और सीनियर पीडियाट्रिशियन डॉ अरुण गुप्ता ने बताया कि भारत में एचएमपीवी वायरस के जो केसेस सामने आए हैं उसको देखते हुए फिलहाल अभी यह कहा जा सकता है की चिंता की कोई बात नहीं है और पैनिक करने की भी जरूरत नहीं है.
सावधानी जरूरी
हालांकि, डॉक्टर के मुताबिक इस वायरस से होने वाले इनफेक्शंस पहले भी होते आये हैं और हर देश मे ऐसे केसेस पहले भी रिपोर्ट हुए हैं. भारत में यह केसेस रूटीन सर्विलांस में पाए गए हैं. एक्सपर्ट यह भी कहते हैं कि फ्लू जैसे सिम्टम्स की जो बीमारियां होती हैं, उनके केसेस में कोई अनएक्सपेक्टेड सर्ज़ (तेजी से बढ़त) देखने को नहीं आ रहा है इसलिए कहा जा सकता है कि ऐसी चिंता की कोई बात नहीं है. हालांकि, डॉक्टर ये बताते हैं कि जिस तरह से कोरोना में सावधानी बरती गई थी कुछ इस तरह की एहतियात अभी भी की जा सकती है, जैसे मास्क लगाना, छीकते हुए नाक पर रुमाल रखना, हाथ अच्छे से धोएं और भीड़ भाड़ वाली जगहों से फिलहाल बचे.
स्वास्थ्य मंत्रालय की बैठक
HMVP (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) को लेकर शनिवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बैठक की. जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय ने चीन में बढ़ते श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों को देखते हुए संयुक्त निगरानी समूह की बैठक बुलाई . यह बैठक डीजीएचएस, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी. इस बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन, आपदा प्रबंधन सेल, एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, आपातकालीन चिकित्सा राहत प्रभाग और अस्पतालों के विशेषज्ञों ने भाग लिया. शनिवार को इस बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि चीन में वर्तमान स्थिति असामान्य नहीं है, क्योंकि यह फ्लू का मौसम है. जानकारी दी गई कि रिपोर्ट्स से पता चलता है कि वर्तमान में बढ़ते मामलों का कारण इन्फ्लूएंजा वायरस, आरएसवी और एचएमपीवी है, जो इस मौसम में आम तौर पर होने वाले पैथोजेन हैं.
बैठक के बाद मिली थी जानकारी
मंत्रालय ने शनिवार को हुई बैठक के बाद जानकारी देते हुए बताया की सरकार चीन में स्थिति पर सभी उपलब्ध चैनलों के माध्यम से नज़दीकी से नजर रख रही है और डब्ल्यूएचओ से भी चीन में स्थिति के बारे में समय पर अपडेट साझा करने का अनुरोध किया गया है. ये वायरस पहले से ही वैश्विक स्तर पर, भारत सहित, प्रचलित हैं. भारत में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी और गंभीर तीव्र श्वसन संबंधी बीमारी के लिए एक मजबूत निगरानी प्रणाली पहले से ही आईसीएमआर और आईडीएसपी नेटवर्क के माध्यम से स्थापित है. दोनों नेटवर्क से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि आईएलआई और एसएआरआई मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है. अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी पुष्टि की है कि पिछले कुछ हफ्तों में श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों में कोई वृद्धि नहीं हुई है, सिवाय मौसमी बदलाव के. आईसीएमआर नेटवर्क एडेनोवायरस, आरएसवी, एचएमपीवी आदि जैसे अन्य श्वसन वायरस के लिए भी परीक्षण करता है, और ये पैथोजेन भी परीक्षण किए गए नमूनों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं दिखाते हैं.
बैठक में वायरस को लेकर सावधानी पर भी हुई थी चर्चा
इस बैठक में वायरस को लेकर सावधानी के तौर पर भी चर्चा हुई थी, जिसमे निर्णय लिया गया कि आईसीएमआर एचएमपीवी के लिए परीक्षण करने वाली प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाएगा, और आईसीएमआर पूरे साल एचएमपीवी के रुझानों पर नजर रखेगा. हाल ही में देश भर में आयोजित तैयारी ड्रिल से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि देश श्वसन संबंधी बीमारियों में किसी भी वृद्धि से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार है. इस बैठक के बाद दी गई जानकारी के मुताबिक बताया गया कि स्वास्थ्य प्रणाली और निगरानी नेटवर्क सतर्क रहते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि देश किसी भी उभरती स्वास्थ्य चुनौती का तुरंत जवाब देने के लिए तैयार है.
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