होली से लेकर दिवाली तक, भारत में कोरोना और लॉकडाउन का कुछ ऐसा रहा असर
इस साल मार्च में कोरोना की रोकथाम के लिए केन्द्र सरकार की तरफ से लॉकडाउन का पहला चरण लागू किया गया था. वैसे तो होली का त्योहार राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से लगाने से पहले ही (9 मार्च) को मना लिया गया था, लेकिन पूरा देश कोरोना महामारी को उस वक्त ही महसूस करना शुरू कर दिया था.
कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया को थाम कर रख दिया. पिछले साल चीन से आई इस महामारी के चलते साल 2020 में करोड़ों लोग प्रभावित हुए. भारत में भी कोरोना ने लोगों की आम जिंदगी को बुरी तरह से प्रभावित किया है. देश के ज्यादातर त्योहार लॉकडाउन में ही मनाए गए.
इस साल मार्च में कोरोना की रोकथाम के लिए केन्द्र सरकार की तरफ से लॉकडाउन का पहला चरण लागू किया गया था. वैसे तो होली का त्योहार राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के लगाने से पहले ही (9 मार्च) को मना लिया गया था, लेकिन पूरा देश कोरोना महामारी को उस वक्त ही महसूस करना शुरू कर दिया था.
मार्च के महीने में देश में कोरोना के 47 मामलों की पुष्टि होने के बाद ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कई कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया था. दिल्ली ने इस महामारी को बुरी तरह अपनी चपेट में ले लिया और एक बार फिर से यहां पर कोरोना के रिकॉर्ड मामले देखने को मिल रहे हैं. दिल्ली में कोरोना के कुल मामले बढ़कर अब 4 लाख 74 हजार 830 तक जा पहुंचे हैं.
कोरोना के मामलों में यह बढ़ोत्तरी खासकर त्योहारी मौसम के चलते हुई है. 25 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते के दौरान जब वक्त शहर में बेहद सादगी में दशहरा का त्योहार मनाया गया, यहां पर रोजाना 3,663 मामले आ रहे थे. गुरुवार को कोरोना ये मामले बढ़कर 7,196 हो गए. अगर इसकी तुलना पीछे करें तो अक्टूबर के पहले हफ्ते में यह आंकड़ा 2627 था.
10 मार्च तक दुनिया में कोविड-19 से 1 लाख 10 हजार लोग प्रभावित थे. लेकिन, उसके बाद स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई और जल्द ही दुनिया में संक्रमितों का यह आंकड़ा बढ़कर लाखों में हो गया. भारत में भी 25 मार्च को 21 दिनों का राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन किया गया था और स्थिति खराब होते देख इसे बढ़ाया जाता रहा. इस लॉकडाउन में 75 दिनों तक देश में लगाया गया था.
इस दौरान आवाजाही रोक दी गई, विमानों के उड़ान भरने पर प्रतिबंध लगा दिया गया और ट्रेनें रुक गईं. इसकी वजह से लोगों को भारी संकट का सामना करना पड़ा. जो लोग अपने पैतृक स्थान जान चाहते थे वे फंस गए. फौरन लगाई गई इस रोक के चलते प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और वे शहरों से हजार किलोमीटर दूर अपने घरों के लिए पैदल ही चल दिए. इस दौरान उन प्रवासी लोगों को हादसों का भी शिकार होना पड़ा। कई लोगों की इन हादसों में जान चली गई. यह सब इसलिए हुआ क्योंकि लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां रुक गईं और हजारों लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. रेस्टुरेंट, स्कूल, शॉपिंग मॉल्स और धार्मिक स्थलों को भी बंद कर दिया गया था. ये भी पढ़ें: कोविड-19: लॉकडाउन के चलते डायबिटीज केसों की आ सकती है बाढ़