Swaraj: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बताया स्वराज का मतलब, कहा- इतिहास पर अभिमान जरूरी
Azadi Ka Amrit Mahotsav: अमित शाह बोले भारत में स्वराज शब्द का अर्थ स्वशासन तक सीमित नहीं है, बल्कि स्वराज शब्द संपूर्ण भारत को स्वतंत्र कराने और अपनी पद्धति से चलाना है.
India Independence Day 2022: केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) आज नई दिल्ली में दूरदर्शन के 'स्वराज: भारत के स्वतंत्रता संग्राम की समग्र गाथा' सीरियल के शुभारंभ और स्पेशल स्क्रीनिंग कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. आज़ादी दिलाने में जाने-अनजाने लाखों लोगों के बलिदान को याद कर रहे हैं. 75 सालों में देश की उपलब्धियों का गौरवगान कर रहे हैं. इसके साथ ही अमृत महोत्सव से शताब्दी तक महान भारत कैसा होगा, उसकी रचना के संकल्प भी ले रहे हैं और संकल्प की सिद्धि के लिए पुरूषार्थ का प्रचंड विश्वास भी व्यक्त कर रहे हैं.
अमित शाह ने कहा कि जो अपने इतिहास पर अभिमान नहीं करते वो कभी भी महान भविष्य कि रचना नहीं कर सकते। अगर महान भविष्य बनाना है तो युवा पीढ़ी के अन्दर हमारे इतिहास के प्रति गौरव का भाव जगाना होगा. केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि भारत यहां से जो छलांग लगाने वाला है, उसके बाद भारत को महान बनने से कोई नहीं रोक सकता. इसी कड़ी में ‘स्वराज’ धारावाहिक के 75 एपीसोड बनाने का काम केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर के नेतृत्व में दूरदर्शन ने हाथ में लिया है, ये एक बहुत साहसी क़दम है. उन्होंने कहा कि भारत के भाव की अभिव्यक्ति केवल और केवल आकाशवाणी और दूरदर्शन ही कर सकते हैं.
इतिहास का गौरव पैदा करना होगा
अमित शाह ने कहा कि दूरदर्शन और आकाशवाणी ने अनेक प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से समय-समय पर देश को झंझोड़ने, संस्कारित करने, भावनाओं को उद्वेलित कर उन्हें चैनेलाइज़ करने और अंततोगत्वा सृजनशक्ति के संग्रह का काम किया है. अगर देश का भविष्य महान बनाना है तो युवा पीढ़ी में भारत के महान इतिहास का गौरव पैदा करना होगा.
बताया स्वराज शब्द का अर्थ
अमित शाह बोले भारत में स्वराज शब्द का अर्थ स्वशासन तक सीमित नहीं है, बल्कि स्वराज शब्द संपूर्ण भारत को स्वतंत्र कराने और अपनी पद्धति से चलाना है. स्वराज में स्वभाषा, स्वधर्म, स्वसंस्कृति और अपनी कलाएं भी आती हैं. जब तक हम शाब्दिक दृष्टि से स्वराज की भावना में नहीं रंगते हैं, तब तक भारत सही अर्थों में स्वराज प्राप्त नहीं कर सकता. अगर शताब्दी के वर्ष में हम अपनी भाषाओं को न बचा पाए, इतिहास को आने वाली पीढ़ी तक न पहुंचा पाए और हज़ारों साल से चली आ रही संस्कृति को न बचा पाए तो क्या हम स्वराज प्राप्त कर सकेंगे.
शासन करने वालों ने मिथक पैदा किया
उन्होंने भाषण के दौरान कहा कि भारत पर शासन करने वालों ने हमारी सारी उत्कृष्ट व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया था. वो हम पर शासन तभी कर सकते थे, जब हमारे जनमानस में एक हीनभावना का निर्माण करें, क्योंकि हर क्षेत्र में हम उनसे बहुत आगे थे. जिस भारत ने दुनिया को गीता, वेद, शून्य और खगोल शास्त्र दिए हैं, उन्होंने उसके ज्ञान को लेकर भी मिथक खड़ा करने का प्रयास किया. उन्होंने हमारी भाषाओं, संस्कृति, शासन करने की क्षमता के प्रति हीन भाव खड़ा किया.
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हीन भाव को उखाड़ फेंकना उद्देश्य
अमित शाह ने कहा कि ‘स्वराज’ धारावाहिक का उद्देश्य जनमानस के अन्दर हर हीन भाव को समूल उखाड़ फेंक गौरव का भाव लाना होना चाहिए, तभी हम स्वराज के उद्देश्यों को सिद्ध कर सकेंगे. यह आजादी के अमृत महोत्सव की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी. गृह मंत्री ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि यह धारावाहिक हमारे युवाओं को झंकझोर कर उनके मन में देश के इतिहास के प्रति गौरव पैदा करेगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व हम महान भारत की रचना की दिशा में और गति से आगे बढ़ेंगे.
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