31 मार्च 2026 तक कैसे नक्सल मुक्त होगा भारत? राज्यसभा में अमित शाह ने बताया प्लान
Amit Shah in Rajya Sabha: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बड़ा ऐलान किया कि अगले साल 31 मार्च 2026 तक भारत से नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा.

Amit Shah in Rajya Sabha: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (21 मार्च, 2025 ) को राज्यसभा में जोर दिया कि अगले साल 31 मार्च तक देश से नक्सलवाद को समाप्त कर दिया जाएगा.
दरअसल, उन्होंने गृह मंत्रालय के कामकाज पर राज्यसभा में हुयी चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ‘‘मोदी सरकार के 10 वर्षों का परिश्रम, बारीक आयोजन, विकास की भूख, सुनियोजित योजना और संसाधनों के सही आवंटन के आधार पर मैं कहता हूं कि 31 मार्च 2026 तक इस देश से नक्सलवाद समाप्त कर दिया जाएगा.’’
गृह मंत्री शाह ने कहा, ‘‘संवाद, सुरक्षा और समन्वय के तीन सिद्धांतों को अपनाकर हमने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. हमने नवीनतम प्रौद्योगिकी के साथ नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई की शुरुआत की. लोकेशन ट्रैकिंग, मोबाइल फोन की गतिविधियां, सोशल मीडिया गतिविधियों की समीक्षा, इनकी कूरियर सर्विस का रेखांकन और उनके परिवारों की आवाजाही का रेखांकन... इन सभी को एकत्र कर हमने सुरक्षा बलों को सूचना से लैस किया.’’
गृह मंत्री का कांग्रेस पर हमला
उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 तक कांग्रेस की सरकार थी, उस दौरान 16,463 नक्सली हिंसा की घटनाएं हुई थीं और अब इसमें 53 प्रतिशत की कमी आई है. उस दौर में सुरक्षा बल के 1,851 मारे गए थे और बाद के 10 साल में 509 सुरक्षाकर्मी मारे गए जो 73 प्रतिशत की कमी है. उन्होंने कहा कि नागरिकों की मृत्यु 4,766 से कम होकर 1,495 हो गयी यानी 70 प्रतिशत कमी आयी.
छत्तीसगढ़ में नक्सल आत्मसमर्पण और सफाया
शाह ने कहा कि 2023 दिसंबर में छत्तीसगढ़ में शासन बदला और भाजपा की सरकार आई और एक साल के अंदर कुल 2,619 नक्सलियों ने या तो आत्मसमर्पण किया या मारे गए. उन्होंने कहा, ‘‘जहां सूरज तक नहीं पहुंचता है, वहां भी हमारे जवान तनात हैं. नक्सलवाद धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है. आत्मसमर्पण से लेकर समावेशन तक, बेहतरीन नीतियां लागू कर हमने इसे प्रभावी रूप से कम करने का कार्य किया है.’’
'धीरे-धीरे सिमटता जा रहा नक्सलवाद'
शाह ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मात्र पांच साल में भाजपा सरकार ने 1,000 बैंक शाखाएं, 937 एटीएम और 5,731 डाकघर खोले. सरकार के विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इसका परिणाम यह हुआ कि आज नक्सलवाद धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है. जो मारे गए हैं, उनमें बहुत सारे उनके प्रमुख नेता हैं. इस कारण इनका पूरा आंदोलन चरमरा गया है. कई पर करोड़ों रुपए के इनाम थे. आत्मसमर्पण के लिए भी हम लचीली नीति लेकर आए हैं.’’
'तीन प्रमुख आतंकवादी समस्याएं'
शाह ने कहा, ‘‘कई लोग हमारे सरकार की घोषणाओं का मखौल उड़ाते थे कि कई सरकारी बदल गई कुछ नहीं हुआ. मैं विश्वास के साथ कहना चाहता हूं कि इस सरकार के रहते ही यह देश नक्सल समस्या से मुक्त हो जाएगा.’’ उन्होंने जम्मू कश्मीर एवं वहां के आतंकवाद, वाम नक्सलवाद एवं पूर्वोत्तर के उग्रवाद को ‘तीन नासूर’ की संज्ञा दी. इन्होंने कहा कि यदि इन तीनों समस्याओं को जोड़ दिया जाए तो चार दशकों में देश के कुल 92 हजार नागरिक मारे गये. उन्होंने यह भी कहा कि इन तीनों समस्याओं के लिए पहले ऐसे कभी सुनियोजित प्रयास नहीं किए गए जो नरेन्द्र मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद किए हैं.
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