नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पुलिस जांच के दौरान ‘थर्ड डिग्री’ को लेकर बड़ा बयान दिया है. अमित शाह ने कहा है कि अब थर्ड डिग्री का युग नहीं है. जांच के लिए वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि दर ‘बहुत ही दयनीय’ है.
टेलीफोन टैपिंग से कोई नतीजा नहीं निकलेगा- अमित शाह
पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) के 49वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में अमित कहा ने कहा कि सालों पुरानी तकनीकों जैसे संदिग्ध को थर्ड डिग्री देने और फोन टैपिंग से अपराधों पर नकेल कसने या अपराधियों को दोषी साबित कराने में वांछित नतीजे नहीं मिले हैं. उन्होंने कहा कि अपराधियों के गुनाह को साबित करने के लिए जांचकर्ताओं के लिए फोरेंसिक सबूतों का इस्तेमाल समय की मांग है.
अमित शाह ने कहा कि उन्होंने बीपीआरडी से राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर 'तौर तरीका ब्यूरो' बनाने की योजना तैयार करने का निर्देश दिया है. ऐसा कहकर उन्होंने भावी चीजों का संकेत दिया. उन्होंने कहा कि सरकार उन सभी आपराधिक मामलों में फोरेंसिक सबूत को अनिवार्य बनाने पर विचार कर रही है जिनमें सात या उससे अधिक साल की कैद की सजा का प्रावधान है.
सभी सुझावों को दस्तावेजों पर लाया जाना चाहिए- अमित शाह
अमित शाह ने कहा, ‘‘ सभी सुझावों को दस्तावेजों पर लाया जाना चाहिए और सिफारिशों को मंत्रालय के पास भेजा जाना चाहिए सीआरपीसी और भादंसं में लंबे समय से बदलाव नहीं हुआ है और हमें इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए.’’ अमित शाह ने अदालतों में पुलिस जांचों की सफलता दर के बारे में भी बात की.
अमित शाह ने आगे कहा, ‘‘ दोषसिद्धि की स्थिति वाकई बहुत दयनीय है. मौजूदा समय में यह नहीं चल सकता. उसमें सुधार की जरूरत है और सुधार तभी हो सकता है जब जांच में अपराध विज्ञान साक्ष्य की मदद ली जाए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यदि आरोपपत्र के समर्थन में अपराध विज्ञान साक्ष्य होते हैं तब न्यायाधीश और बचाव पक्ष के वकील के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं. ऐसे में अपने आप ही दोषसिद्धि की दर सुधरेगी.’’
अपराध मानसिकता वाले लोगों से चार कदम आगे रहे पुलिस-अमित शाह
शाह ने कहा, ‘‘ यह बहुत जरूरी है कि पुलिस अपराधियों और अपराध मानसिकता वाले लोगों से चार कदम आगे रहे. पुलिस को पीछे नहीं रहना चाहिए. यह तभी संभव है जब पुलिस आधुनिकीकरण समग्र तरीके किया जाए. यह थर्ड डिग्री का युग और समय नहीं है. हमें जांच के लिए वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल करना चाहए. टेलीफोन टैपिंग से कोई नतीजा नहीं निकलेगा.’’
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