सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद पहली बार बड़े स्तर पर दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. इसके अलावा राज्यमंत्री बीएल वर्मा व विभिन्न सहकारी संगठन के पदाधिकारी मौजूद रहे. कार्यक्रम में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से विडियो कॉन्फ्रेन्सिंग व अन्य माध्यमों से करीब 5 करोड़ लोग जुड़े. 


गृह मंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज़ादी के 75 सालों के बाद और ऐसे समय पर जब सहकारिता आंदोलन की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, उस समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय बनाया. गरीब कल्याण और अंत्योदय की कल्पना सहकारिता के बिना हो ही नहीं सकती. सहकारिता बंधुओं और कार्यकर्ताओं से कहा कि अब उपेक्षा का समय समाप्त हो गया है और प्राथमिकता का समय शुरू हुआ है.


गृह मंत्री ने कहा कि देश के विकास में सहकारिता का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है. कार्य में सहकारिता की भावना को स्वभाव और संस्कार की तरह शामिल कर सहकारिता के आंदोलन को आगे बढ़ाना होगा. देश के करोड़ों किसानों, वंचितों, पिछड़ों, दलितों, ग़रीबों, उपेक्षितों, महिलाओं के विकास का मार्ग केवल सहकारिता के माध्यम से ही प्रशस्त हो सकता है. कई लोग सहकारिता की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हैं और उन्हें लगता है कि सहकारिता आंदोलन अब अप्रासंगिक हो गया है, लेकिन सहकारिता आंदोलन सबसे ज़्यादा प्रासंगिक आज है. 


अमित शाह ने कहा कि हर गांव को कोऑपरेटिव के साथ जोड़कर, सहकार से समृद्धि के मंत्र से हर गांव को समृद्ध बनाना और इसके ज़रिए देश को समृद्ध बनाना, यही सहकारिता आंदोलन की भूमिका होती है. मिलजुलकर एक लक्ष्य के साथ बंधुत्व भाव से एक दिशा में काम करना ही सहकारिता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक मंत्र दिया है, सहकार से समृद्धि का, उन्होंने जो पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का एक लक्ष्य रखा है, सहकारिता क्षेत्र भी इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पूरा ज़ोर लगा देगा. सहकारिता आंदोलन भारत के ग्रामीण समाज की प्रगति भी करेगा और एक नई सामाजिक पूंजी की अवधारणा भी खड़ी करेगा.


 



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