Vision 2047: 'विजन 2047' के लिए गृह मंत्रियों का होगा चिंतन शिविर, साइबर अपराध और आधुनिकीकरण पर होगी चर्चा
PM Modi Vision 2047: पीएम नरेंद्र मोदी के 'विजन 2047' को देखते हुए केंद्र सरकार ने तैयारी तेज कर दी है. इसको लेकर गुरुवार(27 अक्टूबर) को बैठक हो रही है.
Vision 2047: 'विजन 2047' के तहत राज्यों के गृह मंत्रियों का दो दिवसीय चिंतन शिविर आज (गुरुवार) से फरीदाबाद के सूरजकुंड में शुरू हो रहा है. जिसकी अध्यक्षता और उद्घाटन गृह मंत्री अमित शाह करेंगे. जबकि पीएम नरेंद्र मोदी 28 अक्टूबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए समापन सत्र को संबोधित करेंगे. गृह मंत्रियों के चिंतन शिविर में साइबर अपराध प्रबंधन के लिए ईको सिस्टम विकसित करने, पुलिस बलों के आधुनिकीकरण, आपराधिक न्याय प्रणाली में आई.टी. के बढ़ते उपयोग, भूमि सीमा प्रबंधन और तटीय सुरक्षा एवं अन्य आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चिंतन किया जाएगा. शिविर में भाग लेने के लिए सभी राज्यों के गृह मंत्रियों और संघ शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और प्रशासकों को आमंत्रित किया गया है. राज्यों के गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और केंद्रीय पुलिस संगठनों के महानिदेशक भी चिंतन शिविर में भाग लेंगे.
चिंतन शिविर का उद्देश्य क्या है?
दो दिन के चिंतन शिविर का उद्देश्य "विजन 2047" और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण में घोषित पंच प्राण के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना तैयार करना है. साल 2047 तक विकसित भारत' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नारी शक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है. इसको देखते हुए ही शिविर में देश में महिलाओं की सुरक्षा और उनके लिए सुरक्षित वातावरण बनाने पर विशेष बल दिया जाएगा. शिविर का उद्देश्य उपर्युक्त क्षेत्रों में राष्ट्रीय नीति निर्माण और बेहतर योजना और समन्वय को सुगम बनाना भी है.
इन पर होगी चर्चा
चिंतिन शिविर में छह सत्रों में विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाएगी. शिविर के पहले दिन होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा, आग से सुरक्षा और शत्रु संपत्ति आदि कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा. दूसरे दिन साइबर सुरक्षा, मादक पदार्थों की तस्करी, महिला सुरक्षा और सीमा प्रबंधन जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी. मादक पदार्थों की तस्करी विषय पर एन.डी.पी.एस. अधिनियम, एन्कॉर्ड, निदान और नशा मुक्त भारत अभियान पर भी चिंतन शिविर में विचार विमर्श किया जाएगा.
भूमि सीमा प्रबंधन और तटीय सुरक्षा विषयों के अंतर्गत सीमाओं की सुरक्षा और सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास पर चिंतन किया जायेगा. ICJS और CCTNS सिस्टम और आई.टी. मॉड्यूल नफीस, आई.टी.एस.एस.ओ., एन.डी.एस.ओ. और क्रि-मैक का उपयोग करके प्रौद्योगिकी-आधारित जांच द्वारा दोषसिद्धि दर बढ़ाने के उपायों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा.
सेफ सिटी प्रोजेक्ट 112-सिंगल इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम, जिलों में मानव तस्करी-रोधी इकाई, पुलिस थानों में महिला हेल्प डेस्क और मछुआरों के लिए बायोमेट्रिक पहचान पत्र जैसी पहलों पर भी चर्चा की जाएगी. विभिन्न विषयों पर सत्रों का उद्देश्य इन मुद्दों पर राज्य सरकारों की सहभागिता को प्रोत्साहित और सुनिश्चित करना है.
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