PFI Ban In India: भारत में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई (PFI) और उससे जुड़े सभी संगठनों पर गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने प्रतिबंध लगा दिया है. ये प्रतिबंध 5 सालों के लिए लगाया गया है. पीएफआई के खिलाफ ये कार्रवाई अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेन्शन एक्ट जिसे UAPA कहते हैं उसके तहत की गई है. सरकार इस एक्ट के तहत किसी भी संगठन को गैरकानूनी या आतंकवादी करार दे सकती है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों पर प्रतिबंध के बाद इससे जुड़े सदस्यों का क्या होगा, क्या पुलिस इन्हें गिरफ्तार कर सकती है?
इसके अलावा पीएफआई पर प्रतिबंध लगने के बाद अब कोर्ट भी जाने की तैयारी हो रही है. आखिर इस बैन के खिलाफ कोर्ट कौन जा रहा है. पीएफआई की जड़ें भारत में बहुत मजबूत हो चुकी थीं. इसे इतनी आसानी से उखाड़ फेंकना इतना आसान भी नहीं रहा. अब जब कार्रवाई हो गई तो ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब आपको 10 अपडेट्स के जरिए दे रहे हैं.
पीएफआई पर बैन के बाद 10 बड़ी अपडेट्स
- देश भर में केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों और राज्य पुलिस के पास अब संगठन के सदस्यों को गिरफ्तार करने, उसके खातों को फ्रीज करने और यहां तक कि उसकी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार है.
- विशेषज्ञों का कहना है कि इस संगठन से जुड़े व्यक्तियों को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए और इस संगठन की सदस्यता से इस्तीफा दे देना चाहिए. गिरफ्तारी की बात की जाए तो इस संगठन से जुड़े किसी भी व्यक्ति ने गैरकानूनी काम या इस तरह की किसी भी गतिविधि में शामिल पाया जाता है तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है.
- प्रतिबंध आदेशों से असंतुष्ट कोई भी व्यक्ति इस तरह के आदेश की तामील की तारीख से 14 दिनों के भीतर जिला न्यायाधीश की अदालत में आवेदन कर सकता है और यह साबित कर सकता है कि संपत्तियों का उपयोग किसी गैरकानूनी गतिविधि के लिए करने की कोई मंशा नहीं है.
- जब किसी संगठन को गैरकानूनी घोषित किया जाता है, तो केंद्र सरकार ऐसे 'स्थान' को कुर्क कर सकती है जिसमें एक घर या इमारत या उसका हिस्सा, या एक तम्बू शामिल है.
- न्यायाधिकरण संगठन को इस तरह के नोटिस की तामील की तारीख से 30 दिनों के भीतर कारण बताने के लिए बुलाएगा कि संगठन को गैरकानूनी घोषित क्यों नहीं किया जाना चाहिए. संगठन या उसके पदाधिकारियों या सदस्यों द्वारा बताये गये कारणों पर विचार करने के बाद न्यायाधिकरण जांच करेगा.
- पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर कथित आतंकी गतिविधियों को लेकर प्रतिबंध को उसके छात्र विंग की ओर से कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. स्टूडेंट विंग ने इस विंग को "अलोकतांत्रिक" और "असंवैधानिक" करार दिया.
- प्रतिबंधित संगठन पर आपराधिक साजिश के तहत हवाला और दान के माध्यम से भारत और विदेश दोनों से धन जुटाने का आरोप लगाया गया है. गृह मंत्रालय के एक आदेश में कहा गया है, "धन और बाहर से वैचारिक समर्थन के साथ, यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है."
- पीएफआई के केरल राज्य महासचिव अब्दुल सत्तार ने कहा है कि सभी PFI सदस्यों और जनता को सूचित किया जाता है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को बैन कर दिया गया है. गृह मंत्रालय ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की एक अधिसूचना जारी की है. हमारे महान देश के कानून का पालन करने वाले नागरिकों के रूप में, संगठन निर्णय को स्वीकार करता है.
- साल 2006 में बने पीएफआई पर राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार बैन लगा है, लेकिन झारखंड में चार साल पहले ही उसपर ये एक्शन ले लिया गया था. राज्य की तत्कालीन बीजेपी की रघुवर दास सरकार ने पीएफआई को पहली बार 12 फरवरी 2018 को प्रतिबंधित किया.
- झारखंड सरकार के एक्शन के बाद PFI झारखंड चैप्टर के महासचिव अब्दुल बदूद ने प्रतिबंध हटाने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दायर की. पीएफआई की याचिका में कहा गया था कि 'सरकार ने आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 1908 की धारा 16 के तहत पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया है, जबकि यह धारा 1932 से ही अस्तित्व में नहीं है.
- रांची हाईकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए पीएफआई पर सरकार द्वारा लगाए बैन को 28 अगस्त 2018 को हटा दिया था.
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