केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ‘सैकंड-इन कमांड’ दर्जे के अधिकारी को ‘अतिरिक्त कमांडेंट’ कहे जाने और इन अधिकारियों को उनका पद बताते हुए होने वाली ‘असहज स्थिति’ को समाप्त करने के लिए सीआरपीएफ से प्राप्त प्रस्ताव पर केंद्रीय सुरक्षा बलों से उनकी राय आमंत्रित की हैं. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और असम राइफल्स के ‘सैकंड-इन-कमांड’ दर्जे का अधिकारी सामान्य पुलिस बल में अधीक्षक दर्जे के समान स्तर का होता है.


केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) जैसे सीएपीएफ में अधिकारियों को सहायक कमांडेंट के एंट्री स्तर पर शामिल किया जाता है. पहली पदोन्नति के साथ उन्हें सैकंड-इन-कमांड (संक्षिप्त में 2आईसी) का पद दिया जाता है. इसके बाद उन्हें कमांडेंट बनाया जाता है जो पुलिस के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दर्जे के समान होता है.


देश के सबसे बड़े अर्द्धसैनिक बल सीआरपीएफ में करीब 3.25 लाख कर्मी हैं. उसने गृह मंत्रालय को हाल में पत्र लिखकर कहा है कि इस दर्जे के अधिकारी समाज में अपना दर्जा और प्रोफाइल स्पष्ट करने में कठिनाई महसूस करते हैं. सीआरपीएफ के इस प्रस्ताव के अनुसार, "अनेक सरकारी संगठनों में सैकंड-इन-कमांड का दर्जा बयां कर पाना मुश्किल होता है. यह कहने की जरूरत नहीं है कि सीएपीएफ के किसी अधिकारी को उसके दर्जे पर गौरव होना चाहिए, लेकिन 2आईसी की रैंक अधिकारियों को गौरवान्वित नहीं कर पाती और बल्कि उन्हें असहज करती है."


अर्द्धसैनिक बल ने मांग की है कि 2आईसी के दर्जे को अतिरिक्त कमांडेंट कहा जाए. इसके बाद गृह मंत्रालय ने अन्य चार सीएपीएफ और असम राइफल्स को पत्र लिखकर उनकी टिप्पणियां आमंत्रित की हैं. मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि मुद्दा इतना जटिल नहीं है और मंत्रालय सभी बलों से टिप्पणियां मिलने पर और निर्णय होने पर अधिसूचना जारी कर सकता है.


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