Bharat Bandh: ‘भारत बंद’ से पहले केन्द्र ने राज्यों को भेजी एडवाइजरी, सुरक्षा और शांति बनाए रखने के निर्देश
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी करते हुए राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे 'भारत बंद' के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के साथ ही कानून और शांति-व्यवस्था को बनाए रखें.
किसान संगठनों की तरफ से 8 दिसंबर को भारत बंद बुलाया गया है. किसानों की तरफ से लगातार यह कहा जा रहा है कि भारत बंद के दौरान शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया जाएगा. पिछले 11 दिनों से दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के चलते किसानों के भारत बंद का कांग्रेस समेत कई राज्यों में राजनैतिक दलों ने अपना समर्थन देने की घोषणा की है. एनसीपी, टीएमसी, शिवसेना, अकाली दल, लेफ्ट पार्टियां, सपा, बीएसपी व अन्य दलों ने इस बंद को सही ठहराते हुए अपना समर्थन देने का एलान किया है. कई अन्य सामाजिक और रोजमर्रा से जुड़े संगठनों ने भी भारत बंद का समर्थन किया है. जिसे देखते हुए केंद्र सरकार सतर्क है. केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने सभी राज्य के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर दिशा निर्देश जारी किया है. दिशा निर्देश में कहा गया है कि कहीं भी कोई अप्रिय घटना ना होने पाए. किसी को भी कानून हाथ में ना लेने दिया जाए कानून व्यवस्था के साथ छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी करते हुए राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे भारत बंद के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के साथ ही कानून और शांति-व्यवस्था को बनाए रखें. इसके साथ ही, एडवाइजरी में कहा गया है कि राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन किया जाए और सामाजिक दूरी बनाए रखी जाए.
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार की तरफ से सितंबर महीने में मॉनसून सत्र के दौरान कृषि सुधार से संबंधित तीन कानून पास कराए गए हैं. इसके बाद एमएसपी को लेकर किसानों की तरफ से इस कानून का विरोध किया जा रहा है. ‘भारत बंद’ का कांग्रेस, राकांपा, द्रमुक, सपा, टीआरएस और वामपंथी दलों जैसी बड़ी पार्टियों ने बंद का समर्थन किया है.
राजधानी दिल्ली में नए कृषि कानूनों पर प्रदर्शन करने पंजाब-हरियाणा और अन्य राज्यों से आए किसानों का सोमवार को 12वां दिन है. इधर, अब तक पांचवें दौर की किसान संगठनों और केन्द्र सरकार के बीच बातचीत हो चुकी है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल सका. किसान संगठनों के नेता नये कानून को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं और ‘हां या नहीं’ में स्पष्ट जवाब की मांग करते हुए ‘मौन व्रत’ धारण किए हुए हैं जिसके बाद केंद्र ने गतिरोध को समाप्त करने के लिए नौ दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है. लेकिन, उससे पहले किसानों की तरफ से भारत बंद बुलाया गया है. किसानों ने धमकी दी है कि अगर उनकी बातें केन्द्र ने नहीं मानी तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तेज किया जाएगा.
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