गौरतलब है कि राज्यों से लगातार ऐसी सूचनाएं आ रहीं थी कि आवश्यक वस्तुएं निर्धारित दाम से अधिक कीमत पर बेची जा रही हैं. यही नहीं जरूरी सामानों की ब्लैक मार्केटिंग भी हो रही है. साथ ही गैर कानूनी तरीके से उनका स्टॉक भी रखा जा रहा है.
कई कारकों के कारण उत्पादन के नुकसान की खबरें आई हैं. विशेष रूप से श्रम आपूर्ति में कमी. इस स्थिति में, इन्वेंट्री निर्माण / जमाखोरी और कालाबाजारी, मुनाफाखोरी और सट्टा व्यापार की संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप आवश्यक वस्तुओं की कीमत बढ़ जाती है. राज्यों को बड़े पैमाने पर जनता के लिए उचित मूल्य पर इन वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए कहा गया है.
इससे पहले, आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अपने आदेशों के साथ गृह मंत्रालय (एमएचए) ने खाद्य पदार्थों, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों जैसे आवश्यक सामानों के संबंध में निर्माण / उत्पादन, परिवहन और अन्य संबंधित आपूर्ति-श्रृंखला गतिविधियों की अनुमति दी है.
इसके अलावा, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार 30 जून, 2020 तक केंद्र सरकार की पूर्व सहमति की आवश्यकता को कम करके ईसी अधिनियम, 1955 के तहत आदेश देने के लिए राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को अधिकृत कर रही है.
ईसी अधिनियम के तहत परिणामस्वरूप 7 साल की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं, राज्य / केंद्र शासित प्रदेश सरकारें अपराध-रोकथाम और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1980 की आपूर्ति के रखरखाव के तहत अपराधियों को हिरासत में लेने पर भी विचार कर सकती हैं.
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