पिछले दो दशकों से अधिक समय से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से लड़ाई लड़ रहे विलेज डिफेंस कमेटियों को और सशक्त बनाने के मकसद से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इनके पुनर्गठन का फैसला किया है. आतंक पर फाइनल असॉल्ट करने के लिए अब यह विलेज डिफेंस ग्रुप सीधा जिले के एसएसपी को रिपोर्ट करेंगे.


जम्मू-कश्मीर में आतंक के खात्मे के लिए 1995 में बनाई गई विलेज डिफेंस कमेटी के पुनर्गठन का फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय ने किया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि अब इन विलेज डिफेंस कमेटियों को विलेज डिफेंस ग्रुप के नाम से जाना जाएगा और यह इसी नाम से आतंकवाद पर फाइनल असॉल्ट करने के मकसद से जम्मू कश्मीर में काम करेंगे. इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने इस ग्रुप का नेतृत्व करने वाले सदस्य को प्रतिमाह 4500 रुपये और इसमें शामिल प्रत्येक सदस्य को प्रतिमाह 4000 रुपये मानदेय देने का भी फैसला किया है. 


वहीं अब तक विलेज डिफेंस कमेटी में शामिल सदस्यों का पैसा इस ग्रुप के मुखिया के पास आता था, जिसे बाद में इन सदस्यों में बांटा जाता था. केंद्र सरकार के इस फैसले से विलेज डिफेंस ग्रुप के सदस्य काफी उत्साहित हैं. 


ग्राम सुरक्षा समितियों की बात की जाए तो सरकार ने इनका गठन 1995 में जम्मू कश्मीर में आतंक के निपटारे के लिए किया था. ग्राम सुरक्षा समितियों में प्रत्येक गांव के कुछ युवाओं को जोड़ा गया था ताकि वह आतंक के खिलाफ अभियान में सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस की मदद करें. 


इन ग्राम सुरक्षा समितियों के कई सदस्यों को सरकार ने हथियार और हथियारों की ट्रेनिंग तक दी थी. जम्मू कश्मीर के आतंकवाद ग्रस्त इलाकों डोडा, किश्तवाड़, रामबन, पुंछ और राजौरी में ग्राम सुरक्षा समितियों का आतंकवाद के निपटारे में अहम योगदान रहा है. 


केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रही जम्मू-कश्मीर पुलिस भी काफी उत्साहित है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे इन ग्राम सुरक्षा समिति के सदस्यों की तारीफ की है. मौजूदा समय में जम्मू कश्मीर में 26500 से अधिक सदस्य ग्राम सुरक्षा समितियों से जुड़े हैं जो गृह मंत्रालय के इस आदेश के बाद अब सीधा जिले के एसएसपी को रिपोर्ट करेंगे.


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