नई दिल्लीः अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा के मद्देनजर कुछ नेताओं को नजरबंद किया गया था. जिसमें अलगाववादियों, भूमिगत कार्यकर्ताओं और पथराव करने वालों समेत 613 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया था. गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि उनमें से 430 व्यक्तियों को आजाद कर दिया गया है. गृह मंत्रालय (एमएचए) ने बुधवार को घोषणा की है कि अब कोई भी जम्मू-कश्मीर में नजरबंद नहीं है.


रेड्डी ने बताया कि जम्मू कश्मीर की सरकार ने रिपोर्ट दी है कि कोई भी व्यक्ति नजरबंद नहीं है. हालांकि 11 मार्च 2020 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि अधिकारियों ने जम्मू और कश्मीर में अगस्त 2019 से 7,357 लोगों को प्रतिबंधात्मक हिरासत में लिया है.


APHC ने उठाए सवाल


फिलहाल रेड्डी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) ने आश्चर्य व्यक्त किया है. हुर्रियत ने दावा किया, "अगस्त 2019 से मीरवाइज उमर फारूक के निवास के बाहर स्थायी रूप से एक पुलिस वाहन तैनात किया गया है, जिसने उन्हें घर से बाहर निकलने से रोक दिया है."


मीरवाइज को रिहा करने की मांग


हुर्रियत ने सवाल उठाया है कि अगर यह हाउस अरेस्ट नहीं है तो क्या है? अगर वह नजरबंद नहीं है तो उसे अपने घर से बाहर निकलने की इजाजत क्यों नहीं है? 5 फरवरी को नजरबंदी के तहत मीरवाइज को डेढ़ साल पूरे हो जाएंगे. बयान में आगे दावा किया गया है कि मीरवाइज की गिरफ्तारी के कारण श्रीनगर में ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में शुक्रवार के कार्यक्रम में शामिल भी नहीं हो पाएंगे.


हुर्रियत ने आगे मांग की है कि मीरवाइज और अन्य राजनीतिक कैदियों, नागरिक समाज के सदस्यों और पत्रकारों को जल्द से जल्द रिहा किया जाना चाहिए. जिन्हें 5 अगस्त, 2019 की शाम को गिरफ्तार किया गया था.


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