नई दिल्ली: नक्सली संगठन अब अपने लाभ के लिए छोटे बच्चों का उपयोग भी करने लगे हैं. ऐसे छोटे बच्चों को बकायदा फौजी प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है और उनसे छोटे कामों के अलावा सुरक्षाबलों की आवाजाही जैसी महत्वपूर्ण सूचनाएं भी एकत्रित कराई जा रही हैं. यह खुलासा खुद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने किया है. केंद्र सरकार ने अधिकारिक तौर पर माना है कि नक्सली संगठन छोटे बच्चों का उपयोग कर रहे हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास मौजूद सूचनाओं के मुताबिक उन्हें ऐसी जानकारी मिली है कि झारखंड और छत्तीसगढ़ में मौजूद सीपीआई माओवादी संगठन अपने लाभ के लिए छोटे बच्चों का भी उपयोग कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक ऐसे बच्चों की माओवादी संगठन द्वारा पहले तलाश की जाती है. मसलन यदि किसी के माता पिता दोनों की मौत हो गई है या फिर बच्चे का परिवार उसका खर्चा उठाने में सक्षम नहीं है तो ऐसे बच्चों को माओवादी संगठन अपने साथ रख लेता है.
गृह मंत्रालय के मुताबिक ऐसे बच्चों का इस्तेमाल नक्सली संगठनों द्वारा दैनिक काम में उपयोग में आने वाली चीजों को लाने ले जाने के लिए किया जा रहा है. साथ ही इन बच्चों से नक्सली ठिकानों पर खाना बनाने का काम भी लिया जा रहा है. यह बच्चे एक नौकर की तरह घर का सारा काम करते हैं. नक्सलियों को जो भी सुविधाएं चाहिए वह इन बच्चों द्वारा पहुंचाई जाती हैं. सबसे गंभीर बात यह है कि इन बच्चों द्वारा सुरक्षाबलों के एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने की बाबत भी मदद ली जा रही है. यानी उनके मूवमेंट पर नज़र रखवाई जा ही है.
केंद्रीय अर्धसैनिक बल के एक आला अधिकारी के मुताबिक क्योंकि छोटे बच्चों पर जल्दी से किसी को शक नहीं होता लिहाजा उस तरफ ध्यान नहीं दिया जाता, लेकिन कुछेक मामलों में यह पाया गया है कि सुरक्षाबलों की आवाजाही की खबर पहुंचाने का काम छोटे बच्चों द्वारा ही किया गया था. गृह मंत्रालय के पास मौजूद सूचना के मुताबिक इन बच्चों को बाकायदा फौजी प्रशिक्षण भी दिया जाता है और जरूरत पड़ने पर यह लोग फायरिंग करने से लेकर आईईडी को लेकर एक जगह से दूसरी जगह भी भेजे जाते हैं. केंद्र सरकार के मुताबिक ऐसे बच्चे जब कभी भी पकड़े जाते हैं तो उनको बालकल्याण का काम भी पूरी तरह से किया जाता है.
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