नई दिल्ली: सहारनपुर में दस दिन से जारी जातीय हिंसा से चिंतित केंद्र की मोदी सरकार ने राज्य की योगी सरकार से रिपोर्ट मांगी है. गृहमंत्रालय ने राज्य सरकार से पूछा है प्रशासन इतने दिनों से जारी हिंसा रोकने में क्यों नाकाम रहा है.


दरअसल केंद्र सरकार इस बात से चिंतित है कि कहीं सहारनपुर की हिंसा राज्य के दूसरे जिलों में ना फैल जाए. सहारनपुर में हिंसा पर आईबी ने केंद्र को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें भी ऐसी ही आशंका जतायी गई थी.


आईबी की रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर हिंसा जल्द नहीं रुकी तो यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों फैल सकती है क्योंकि राजनैतिक और धार्मिक गुट इस हिंसा में दोनों पक्षों को उकसाने में लगे है.


इंटेलिजेंस ने सीएम योगी को सौंपी रिपोर्ट, ‘भीम आर्मी से माया के भाई और BSP के संबंध’
सहारनपुर में हिंसा भड़काने का आरोप जिस संगठन भीम आर्मी पर लग रहा है उसको लेकर यूपी की इंटेलिजेंस पुलिस ने सीएम योगी आदित्यनाथ को रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी लगातार भीम आर्मी की मदद करती रही है. सहारनपुर पिछले तीन दिन से सुलग रहा है. खुफिया विभाग की रिपोर्ट में मायावती के भाई का भी नाम सामने आया है.


हालांकि, इस आरोप के बाद खुद मायावती मीडिया के सामने आईं और आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके भाई का भीम आर्मी से कोई संबंध नहीं है.


अभी भी तनाव में है सहारनपुर
यूपी के सहारनपुर में जातीय हिंसा के बाद माहौल अभी भी तनावपूर्व है लेकिन स्थिति नियंत्रण में है. बुधवार को भी भर सहारनपुर का माहौल तनावपूर्ण रहा. मंगलवार रात तीन बजे प्रजापति समाज के एक शख्स को गोली मार दी गई और एक शख्स को घायल कर दिया गया. इतना ही नही बुधवार दोपहर करीब 1 बजे एक राजपूत को भी कुछ अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी. गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है.


योगी सरकार ने डीएम-एसएसपी को सस्पेंड किया
सहारनपुर हिंसा को गंभीरता से लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने जिले के डीएम एसएसपी को निलंबित कर दिया जबकि मंडलायुक्त और पुलिस उप महानिरीक्षक के तबादले कर दिये. एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे और जिलाधिकारी एन पी सिंह को निलंबित किया गया है जबकि मंडलायुक्त एम पी अग्रवाल और डीआईजी जे के शाही का ट्रांसफर किया गया है. बबलू कुमार सहारनपुर के नये पुलिस कप्तान बनाये गये हैं जबकि प्रमोद कुमार पाण्डेय को नया डीएम नियुक्त किया गया है.


क्या हुआ था सहारनपुर में ?


सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में पांच मई को उस वक्त झड़पें शुरू हो गई थीं जब गांव के कुछ दलित निवासियों ने ठाकुरों(अगड़ी जाति के लोगों) की ओर से राजपूत राजा महाराणा प्रताप की जयंती पर एक जुलूस निकालने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था.


इसके बाद दलित समुदाय के लोगों ने शहर के गांधी उद्यान में नौ मई को एक महापंचायत करने की कोशिश की, ताकि पांच मई की झड़पों में प्रभावित हुए लोगों के लिए मुआवजे और राहत की मांग की जा सके, लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें महापंचायत आयोजित करने की अनुमति नहीं दी, जिसके कारण दलित समुदाय सड़कों पर उतर गया. फिर हुई हिंसा में दलित प्रदर्शनकारियों ने शहर में कथित तौर पर एक पुलिस चौकी और एक दर्जन से ज्यादा बाइकों को आग के हवाले कर दिया.


सहारनपुर में दलितों की अगुवाई भीम आर्मी नाम का संगठन कर रहा था. रविवार को हजारों दलित अधिकार कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन भी किया था. भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर भी इस मौके पर मौजूद थे. उन पर सोशल मीडिया में एक आपत्तिजनक वीडियो साझा करने और सहारनपुर में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप है.