केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से विचाराधीन कैदियों को राहत प्रदान करने और जेलों में भीड़भाड़ कम करने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 के एक विशिष्ट प्रावधान को लागू करने सहित कदम उठाने को कहा है.


गृह मंत्रालय ने राज्यों को भेजे पत्र में कहा है कि जेलों में अत्यधिक भीड़, विशेषकर विचाराधीन कैदियों की बड़ी संख्या का मुद्दा सरकार के लिए चिंता का विषय रहा है.


मंत्रालय ने कहा कि विचाराधीन कैदियों के लंबे समय तक हिरासत में रहने और उनकी परेशानियों के मुद्दे के समाधान के लिए कई बड़े कदम उठाए जा रहे हैं, जिसमें जेलों से रिहाई चाहने वाले ऐसे कैदियों को राहत देने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना भी शामिल है. मंत्रालय ने कहा कि बीएनएसएस की धारा 479 (1), जो एक जुलाई 2024 से लागू हो गई है.


धारा 479 (1) इस प्रकार से विचाराधीन कैदियों को देगी राहत


धारा 79 के अनुसार यदि किसी विचाराधीन कैदी को कानून के तहत उसके अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की आधी अवधि तक हिरासत में रखा गया है तो उसे अदालत द्वारा जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा. हालांकि ये राहत अधिकतम सजा मृत्युदंड या आजीवन कारावास में उपलब्ध नहीं है.


बीएनएसएस की धारा 479 (1) के अंतर्गत एक नया प्रावधान जोड़ा गया है. जो इस प्रकार है: ‘बशर्ते कि जहां ऐसा व्यक्ति पहली बार अपराधी है (जिसे अतीत में कभी किसी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है) तो उसे न्यायालय द्वारा बॉण्ड पर रिहा कर दिया जाएगा, यदि वह उस कानून के तहत ऐसे अपराध के लिए निर्दिष्ट कारावास की अधिकतम अवधि के एक-तिहाई तक की अवधि के लिए हिरासत में रहा हो.


बीएनएसएस की धारा 479 (3) के तहत,जहां आरोपी व्यक्ति बंद है, वहां के जेल अधीक्षक पर यह विशिष्ट जिम्मेदारी डाली गई है कि वह ऐसे कैदियों को जमानत पर रिहा करने के लिए संबंधित अदालत में आवेदन करें.


न्यायालय ने देशभर के जेल अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि जहां भी आरोपी व्यक्ति विचाराधीन कैदी के रूप में बंद हैं, वहां उनकी जमानत पर रिहाई के लिए धारा 479 की उपधारा (1) में लिखे हुए अवधि का आधा या एक तिहाई समय पूरा होने पर संबंधित न्यायालयों में आवेदन प्रस्तुत किया जाए.


ये भी पढ़ें: हिज्ब-उत-तहरीर को गृह मंत्रालय ने घोषित किया आतंकी संगठन, देश के लिए खतरा बता लगाया बैन