हनीप्रीत ने रोहतक की सुनारियां जेल में गुरमीत राम रहीम से की मुलाकात, उठ रहे हैं ये सवाल
हनीप्रीत इस बार भी दो वकीलों और डेरा की चेयरपर्सन शोभा गोरा व 10 मेंबरी कमेटी के सदस्य चरणजीत सिंह सिद्धू के साथ आई थी और बलात्कारी बाबा के परिवार का कोई भी सदस्य इन लोगों के साथ इस बार भी नहीं था.
रोहतकः सिरसा के डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के साथ उसकी मुंहबोली बेटी हनीप्रीत की आज रोहतक की सुनारियां जेल में मुलाकात हुई. अंबाला जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद हनीप्रीत की बाबा राम रहीम से यह चौथी मुलाकात थी. काले शीशों की फॉर्च्यूनर गाड़ी में बैठकर हनीप्रीत रोहतक पहुंची थी. डेरे की चेयरपर्सन शोभा गोरा और 10 मेंबरी कमेटी के सदस्य चरणजीत सिंह सिद्धू भी उसके साथ थे. करीब 20 मिनट तक हनीप्रीत और गुरमीत की मुलाकात हुई.
सफेद रंग की काले शीशों वाली फॉर्च्यूनर गाड़ी में बैठकर बाबा की सबसे बड़ी राजदार और उसकी मुंहबोली बेटी हनीप्रीत आज रोहतक की सुनारियां जेल पहुंची थी. करीब 20 मिनट तक गुरमीत राम रहीम से मुलाकात के बाद वह वापस सिरसा की तरफ निकल गई. इस दौरान एक खास बात देखने को यह भी मिली कि हनीप्रीत इस बार भी दो वकीलों और डेरा की चेयरपर्सन शोभा गोरा व 10 मेंबरी कमेटी के सदस्य चरणजीत सिंह सिद्धू के साथ आई थी और बलात्कारी बाबा के परिवार का कोई भी सदस्य इन लोगों के साथ इस बार भी नहीं था.
इससे पहले भी हनीप्रीत और गुरमीत राम रहीम की तीन मुलाकातें सुनारिया जेल में हो चुकी हैं लेकिन तीनों ही बार हनीप्रीत के साथ बाबा के परिवार का कोई सदस्य नहीं आया है. बलात्कारी बाबा का परिवार जब भी यहां गुरमीत राम रहीम से मिलने आया है तो वह लोग बिना हनीप्रीत के अपने वकीलों के साथ ही आए हैं. हनीप्रीत और बाबा के परिवार के सदस्यों का अलग-अलग मुलाकात के लिए आना कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे रहा है. सूत्र बताते हैं कि डेरा सच्चा सौदा में पावर को लेकर दो धड़े बने हुए हैं. एक गुट हनीप्रीत का है तो दूसरा गुट बाबा के परिवार का है जो नहीं चाहता कि हनीप्रीत का डेरे पर ज्यादा प्रभाव रहे. हालांकि जिस तरह से हनीप्रीत की बाबा से बार-बार मुलाकातें हो रही हैं उसको लेकर भी कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं.
गुरमीत राम रहीम और हनीप्रीत की इन मुलाकातों में एक खास बात यह भी है कि हनीप्रीत जब भी रोहतक की सुनारिया जेल पहुंचती है तो वह काले रंग की शीशों वाली गाड़ी में बैठ कर आती है, जिसको लेकर एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या हनीप्रीत के लिए कानून कोई मायने नहीं रखता ? नियमों की बात यदि करें तो कोई भी साधारण व्यक्ति अपनी गाड़ी के शीशों को काला नहीं करवा सकता लेकिन हनीप्रीत हर बार काले शीशे वाली गाड़ी ही लेकर आती है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या हनीप्रीत के लिए ट्रैफिक नियम कोई मायने नहीं रखते ? जेल के चारों तरफ कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रहती है और काफी संख्या में यहां पर पुलिस बल की तैनाती भी है, बावजूद इसके कोई पुलिस अधिकारी आखिर यह पूछने तक की जहमत क्यों नहीं उठा रहा है कि हनीप्रीत की गाड़ी के शीशे काले क्यों हैं ? कोई आम आदमी यदि अपनी गाड़ी के शीशे काले करवा ले तो पुलिस चालान काटने में देर नहीं लगाती लेकिन हनीप्रीत के साथ यह हमदर्दी क्यों बढ़ती जा रही हैं ?