Heat Wave: 'दिमाग की बत्ती जली'- ज्यादा गर्मी होने पर ब्रेन पर क्या होता है असर, जानें क्या कहती है स्टडी रिपोर्ट
Study Report: बहुत ज्यादा गर्मी हमारे मस्तिष्क पर भी बहुत बड़ा असर डालती है. गर्मी के दिनों में इंसान हो या कोई भी जीव, उसका स्वभाव बदल जाता है. स्टडी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है.
Study Report: नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की पीएचडी छात्र अन्ना एंड्रियासेन ने कहा, "यह जानकर आपको वास्तव में काफी हैरानी होगी कि गर्मी में आपका दिमाग (Human Brain) खराब हो सकता है, यानी कि गर्मी से दिमाग पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है." स्टडी रिपोर्ट (Study Report)में कहा गया है कि जीवित प्रजातियां, चाहे मछली हो या इंसान, तापमान बढ़ने के साथ उनका दिमाग खराब प्रदर्शन करने लगता है. यह कुछ ऐसा है जो बहुत से लोगों ने निश्चित रूप से बहुत अधिक गर्म दिनों में अनुभव किया होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं जब बाहर तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है तो शरीर के अंदर क्या होता है?
दिमाग तय करता है जीव का बदलता स्वभाव
इस सवाल का जवाब खोजने के लिए, एनटीएनयू के जीवविज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं ने न्यूरोफिज़ियोलॉजिकल पद्धतियों के साथ अनुवांशिक तकनीक का उपयोग किया और कहा कि "हमने उन कारकों का पता लगाया जो जीवों की गर्मी और उसकी सहनशीलता को प्रतिबंधित करते हैं." जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप पृथ्वी का तापमान बढ़ने पर कौन से जीव पनपेंगे और क्यों? " इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हमने मस्तिष्क को देखने का फैसला किया."
इंसान के दिमाग को तापमान बहुत प्रभावित करता है
अध्ययन बताते हैं कि मनुष्य के दिमाग को तापमान बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं. ज्यादा गर्मी से इंसान के अंदर ज्यादा क्रोध और नफरत भर देती हैं. एक शोध बताता है कि हम 12 से 21 डिग्री सेल्सियस में सबसे अच्छे मूड में होते हैं. इतने तापमान में हमें गुस्सा भी कम आता है.
द लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ ने अमेरिका के 773 शहरों में रहने वाले लोगों के व्यवहार पर अध्ययन किया है. इस अध्ययन में यह पता चला है कि ज्यादा गर्मी पड़ने से इंसान के अंदर गुस्सा बढ़ता है. रेगिस्तानी इलाकों में जहां तापमान 42 से 45 डिग्री सेल्सियस के करीब पाया जाता है, वहां हेट स्पीच वाले ट्वीट में 22% तक की बढ़ोतरी हुई.
इंसान ही नहीं, जीवों के दिमाग पर भी असर करती है गर्मी
महाद्वीपों में पड़ने वाली गर्मी की लहरें अब आम होती जा रही हैं और इससे पानी में रहने वाले जीव भी खतरनाक रूप से बढ़ते तापमान का सामना कर रहे हैं. यह समझना कि अत्यधिक उच्च तापमान पर जीवित रहने की सीमा क्या है, यह भविष्यवाणी करने के लिए महत्वपूर्ण है कि जीव जलवायु परिवर्तन पर कैसे प्रतिक्रिया देंगे.
"थर्मल टॉलरेंस का दशकों से अध्ययन किया गया है और यह पाया गया है कि तापमान मस्तिष्क की गतिविधि को प्रभावित करता है." शोधकर्ता ने बताया कि इसका पता लगाने के लिए ट्रॉनहैम में एनटीएनयू के शोधकर्ताओं ने लार्वा मछली के आसपास के तापमान में उत्तरोत्तर वृद्धि करते हुए नव रचित जेब्राफिश लार्वा की मस्तिष्क गतिविधि का अध्ययन किया और पाया कि "इन मछलियों को आनुवंशिक रूप से इस तरह से बनाया गया है कि जब मस्तिष्क में न्यूरॉन्स सक्रिय होते हैं, तो वे फ्लोरोसेंट रोशनी का उत्सर्जन करते हैं."
गर्मी से मछलियां संतुलन खो देती हैं
जब मौसम बहुत गर्म हो जाता है, तो वे अपना संतुलन खो देते हैं और सर्कल में तैरने लगते हैं, जिसमें उनका पेट ऊपर होता है. शोधकर्ताओं ने मछली के लार्वा को यह देखने के लिए उकसाया कि उन्होंने कैसे प्रतिक्रिया दी. उन्होंने लार्वा की पूंछ को दबा दिया, जो आम तौर पर उन्हें तैरने का कारण बनता है. कुछ अजीब हुआ जब उन्होंने तापमान बढ़ाया. मछलियां मरणासन्न हो गईं और तैरने की क्षमता खोने लगीं, इससे पता चलता है कि गर्मी से हमारा दिमाग काम करना बंद करने लगता है.
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