नई दिल्ली:  पंजाब नेशनल बैंक घोटाले का आरोप नीरव मोदी काली दीवार,लाल कुर्सी और खास तरह की लाइट्स के मायाजाल में फंसा कर अमीरों को लूटता था. यहां पढ़ें कैसे CBI और ED करेंगे नीरव-मेहुल से 11,500 करोड़ रुपये की वसूली?


दिल्ली के पॉश डिफेंस कॉलोनी में नीरव मोदी का शोरूम है. शोरूम में हीरों की चमक में ग्राहकों को सम्मोहित करने के लिए खास तरीके से लाइट का इस्तेमाल किया जाता था. सिर्फ लाइट ही नहीं पूरा स्टोर ऐसा बनाया गया था कि कस्टमर उस मायाजाल से बाहर न निकल पाए.




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दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में रहने वाली सोशलाइट सुजैन शर्मा ने नीरव मोदी के शोरूम की आपबीती बताई. सुजैन ने बताया कि वह अपनी सहेली के साथ शोरुम में गईं तो उन्हें शीशे के एक कमरे में ले जाया गया. वहां स्टाइलिस्ट पहले से मौजूद थीं. दुल्हन को सजाने के लिए मेकअप आर्टिस्ट भी लग गए और कस्टमर को ऐसे तैयार किया गया कि हीरे के गहने छोड़ने का विकल्प ही न बचे. आखिरकार सुजैन की सहेली ने डायमंड सेट खरीद लिया.


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हैसियत के हिसाब से मोटा मुनाफा लूटता था नीरव मोदी

एबीपी न्यूज़ की संवाददाता शगुन ने बताया, ‘’मेरी एक दोस्त नीरव मोदी के स्टोर में शादी की अंगूठी खरीदने गई थी. उसने दस कैरेट तक के हीरे की अंगूठी दिखाने को कहा. हीरे में दस कैरेट सोने के दस कैरेट से अलग होता है. हीरे में क्वालिटी के लिए नहीं वजन के लिए कैरेट का इस्तेमाल होता है और दस कैरेट का हीरा 3-4 करोड़ तक का नीरव मोदी बेचता था. बड़े कस्टमर को देखकर नीरव मोदी के स्टोर का मैनेजर मिलने आया और कीमत घटाने के लिए भी तैयार हो गया यानी महंगी कीमत पर हीरे बेचने वाला नीरव मोदी मोल-भाव यानि बारगेनिंग भी किया करता था. मतलब मोदी के हीरों की कीमत कम होती थी और उसे बेंचने के दाम ज्यादा. यानि नीरव मोदी हैसियत के हिसाब से मोटा मुनाफा लूटता था. बारगेनिंग की गुंजाइश के लिए नीरव मोदी खास चाल चलता था.



नीरव मोदी के स्टोर में हीरों के गहनों पर प्राइस टैग नहीं लगा होता था. दरअसल कस्टमर को डिस्प्ले पर कम हीरे दिखाते थे और लुकबुक में डिजाइन ज्यादा दिखाते थे. और जब कस्टमर डिजाइन पसंद कर ले तो बेस्ट कट, कैरेट और क्लिएरिटी के आधार पर कीमत बताई जाती थी.


ग्राहकों को कैसे लालच देता था नीरव मोदी?




  • शोरूम में कम लाइट होती थी ताकि गहने पर ही फोकस रहे.

  • अपॉइंटमेंट देकर बुलाते थे ताकि कस्टमर को स्पेशल फील करा सके.

  • शादी की खरीददारी के लिए दुल्हन का खास शीशमहल जैसा कमरा, जिसमें दुल्हन को स्टाइलिश,मेकअप एक्सपर्ट की मदद से सजा संवार कर गहने ट्राई कराए जाते थे.


नीरव मोदी अपने कस्टमर पर शिकारी की तरह नजर रखता था और इसके लिए नीरव मोदी कैमरे का इस्तेमाल हथियार की तरह करता था. नीरव मोदी के स्टोर में ही नहीं बाहर भी कैमरे लगे हैं. कैमरे से कस्टमर की कार और हैसियत देखकर उसका ट्रीटमेंट तय किया जाता था. यही नहीं नीरव मोदी स्टोर के स्टाफ इशारों में ये भी पूछ लेते है कि पेमेंट कैसे करना है. मतलब काला धन खपाने के लिए भी नीरव मोदी तैयार रहता था.




फोर सी क्या है?

कैमरे के अलावा नीरव मोदी अपने ग्राहकों को फोर सी वन जी की आड़ में जमकर लूटता था. हीरे में फोर सी का मतलब कट, कलर, कैरेट और क्लियरिटी है.

नीरव मोदी की लूट का ग्लैमर फैक्टर

प्रियंका चोपड़ा नीरव मोदी के गहनों का प्रचार करती थीं. जो गहने प्रियंका पहन लें उनके लिए लोगों में प्रियंका चोपड़ा जैसा गहना पहनने की होड़ लग जाती थी. नीरव मोदी इसी का फायदा उठाता था.

नीरव मोदी ने जितना खर्च अपने हीरों पर कर रखा था उससे कम खर्च अपने डायमंड स्टूडियो के भीतर सजावट में भी नहीं किया था. अमीर ग्राहकों को लूटने में ये खास सजावट सम्मोहन का काम करती थी. जिसके लिए नीरव ने अपने पहले स्टोर को विदेशी डिजाइनर से तैयार करवाया था.


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