'इंस्पेक्टर राज' और भ्रष्टाचार से परेशान लोगों के बीच अमिताभ बच्चन ने गढ़ी थी 'एंग्री यंग मैन' की छवि
बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन आज भी वह जिस किरदार में आते हैं उस कैरेक्टर को अपना बना लेते हैं.

पांच दशकों से भी ज्यादा वक्त से दर्शकों का मनोरंजन कर रहे बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन आज 80 साल के हो गए हैं. अपने 50 साल के बॉलीवुड करियर में उन्होंने फिल्मों में कई ऐसे किरदार निभाए हैं जिसके बदौलत उन्हें महानायक का दर्जा दिया गया.
हिंदी सिनेमा के एंग्री यंग मैन कहलाए जाने वाले अमिताभ बच्चन ने इंडस्ट्री में तब अपनी जगह बनाई जब पूरा देश भ्रष्टाचार और इंस्पेक्टर राज से तंग आ चुका था. 70 के उस दौर की जनता के बीच ‘आनंद’ का ‘बाबू मोशाय’ पुराना हो गया था और ‘जंजीर’ का पुलिस इंस्पेक्टर ‘एंग्री यंगमैन’ बनकर जनता के दिल में जगह बना चुका था.
यह वह दौर था जब लोग सिस्टम से नाराज थे. बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से परेशान लोग समाज में एक नायक ढूढ़ रहे थे. साल 1973 में जंजीर रिलीज हुई. इस फिल्म में धमाकेदार, धांसू एंट्री के साथ एक ऐसा एक्टर सामने आता है, जो अपनी फिल्मों में इंस्पेक्टर का रोल करते हुए, भ्रष्ट नेताओं से लड़ता भी है और लोगों की जान भी बचाता है. अमिताभ उस दौर के ऐसे एक्टर बन गए जिन्होंने वर्दी में हर वो काम किया जिसे समाज एक नायक रूप में ढूंढ़ रहा था.
इंदिरा गांधी ने दी थी फिल्म करने की सलाह
अमिताभ बच्चन को लेकर कई किस्से मशहूर हैं. कहा जाता है कि उन्हें फिल्मी जगत में आने की सलाह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ही दी थी. ये अफवाह भी है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ख्वाजा अहमद अब्बास को एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी के बाद ही अमिताभ बच्चन को ‘सात हिंदुस्तानी’ फिल्म में काम दिलवाया गया था. इंदिरा जी के दिल में अमिताभ के लिए अपने सगे बेटे जैसा ही प्रेम था.
फिल्म समीक्षक विष्णु Abp से बातचीत में कहते है कि अमिताभ बच्चन के शुरुआती करियर में दो लोगों का बहुत प्रभाव था. गांधी परिवार और ख्वाजा अब्बास साहब से उनके अच्छे रिश्ते. बच्चन परिवार से उनके इतने अच्छे संबंध थे कि इंदिरा गांधी के बाद जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने और वे जब भी मध्य प्रदेश या राजस्थान के अभयारण्य या ऐतिहासिक स्थलों की सैर पर जाते, तब अखबारों के समाचारों में यह जरूर लिखा होता कि प्रधानमंत्री के साथ हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन भी सपरिवार आए हुए हैं.
एक किस्सा ये भी है कि फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने से पहले इंदिरा गांधी ने अब्बास साहब को अमिताभ बच्चन को रोल देने को लेकर चिट्ठी लिखी थी. वहीं दूसरी तरफ अब्बास साहब कम्यूनिस्ट थे और इंदिरा गांधी के करीबी दोस्त भी थे. इसलिए उन्होंने ही सबसे पहले सात हिंदुस्तानी में अमिताभ बच्चन को रोल दिया.
समीक्षक विष्णु कहते हैं कि 70 के दौर में ऐसी फिल्में नहीं बनती थी जो सीधे सरकार पर हमलावर हो. इसलिए ऐसे किरदार बनाए जाते थे जो सरकार से जुड़े तंत्र का हिस्सा हो ऐसे किरदार में पुलिस के रोल से बेहतर क्या ही होगा. जंजीर के रिलीज होने के बाद पुलिस की वर्दी में अमिताभ बच्चन का लंबा कद और एंगरी यंग मैन वाला इमेज लोगों को पसंद आने लगा और धीरे धीरे उन्हें ऐसे ही रोल्स मिलने. इसके बाद साल 1973 में लोग महंगाई से परेशान थी.
साल 1984 में उन्हें इंकलाब फिल्म मिली जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया. प्यार मोहोब्बत की कहानी से हटकर 1984 में बनी यह फिल्म में एक पढ़े लिखे नौजवान अमर नाथ की कहानी दिखाई गई है. अमर जब हर तरह से नौकरी पाने में असफल हो जाता है तो एक सिनेमा हॉल के बाहर टिकट और भेलपुरी बेचने का काम शुरू करने लगता है लेकिन फिर एकदम से उसकी किस्मत बदल जाती है. फिल्म में दिखाया गया है कि राजनेता कैसे अपने फायदे के लिए भोले भाले लोगों का इस्तेमाल करते हैं. इस फिल्म से जनता जुड़ती है और यह एक बार फिर बॉक्स ऑफिस पर हिट फिल्म बन जाता है.
यही वजह है कि बिग बी आज के दौर में भी सिनेमा पर राज कर रहे हैं. बिग बी ने जिस दौर में अपने करियर की शुरुआत की थी उस वक्त हीरो अक्सर रोमांटिक फिल्में किया करते थे. लेकिन लीग से हटकर अमिताभ बच्चन को पुलिस ऑफिसर का रोल मिलने लगा और उनकी जबरदस्त एक्टिंग ने फिल्मों से बॉलीवुड का ट्रेंड ही बदलकर रख दिया.
महानायक की फिल्मों की बात हो रही हो और उनकी सुपरहिट फिल्म जंजीर का जिक्र न किया जाए ऐसा हो ही नहीं सकता. अमिताभ बच्चन ने अपने करियर की शुरुआत में काफी संघर्ष किया था. लगातार कई फिल्में फ्लॉप होने के बाद उनके हाथ जंजीर लगी. यह फिल्म ना सिर्फ पर्दे पर हिट रही बल्कि इसने अमिताभ बच्चन की किस्मत बदलकर रख दी. इस फिल्म में उनका किरदार एक गुस्सैल पुलिस वाले का था. यही वह फिल्म है जिसके बाद उन्हें एंग्री यंग मैन का नाम मिला था. जंजीर के बाद उनकी कई ऐसी फिल्में आई जिसमें उन्होंने गुस्सैल पुलिस ऑफिसर का किरदार निभाया.
महानायक अमिताभ बच्चन के पुलिस इंस्पेक्टर के किरदार से जनता कितनी प्रभावित हुई थी इसपर abp न्यूज से बात करते हुए NSD से पास आउट एक्टर समरदीप सूद कहते हैं हमारे बॉलीवुड में कई एक्टर आए गए लेकिन अमिताभ बच्चन तब भी महानायक थे और अब भी हैं. उनकी जगह किसी और को नहीं दी जा सकती. उन्होंने कहा कि अमिताभ बच्चन एक ऐसे कलाकार हैं जिसे कोई भी रोल दिया जा सकता है. वो उतनी ही इमानदारी से उसे निभाते हैं और यही एक कारण भी है कि लोग उनके किरदार को पसंद करते हैं.
12 फ़िल्मों के बाद बदली किस्मत
बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन आज भी वह जिस किरदार में आते हैं उस कैरेक्टर को अपना बना लेते हैं. एक्टिंग हो, कमाई हो या चाहने वालों की लिस्ट, बॉलीवुड के शहंशाह किसी भी मामले में आज के सितारों से पीछे नहीं है. वर्तमान में अमिताभ बच्चन के पास मुंबई सहित कईं शहरों में अपने बंगले हैं, उनकी नेटवर्थ लगभग 1000 करोड़ के आसपास है. लेकिन एक दौर था जब फिल्में लगातार फ्लॉप हो रही थी.
अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म 'सात हिन्दुस्तानी' को रिलीज हुए 53 साल हो गए हैं. इस फिल्म के बाद फिल्मकारों ने अमिताभ बच्चन को नोटिस तो कर लिया था, उन्हें फिल्में भी मिलने लगी थी लेकिन एक के बाद एक कर सारी फिल्में फ्लॉप होने लगी. अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के कारण अमिताभ के ऊपर एक फ्लॉप अभिनेता का दाग लग गया.
फिल्म इंडस्ट्री में फ्लॉप होने का यह दाग साफ होने में करीब 4 बरस का लम्बा समय लग गया. लेकिन इस दौरान संघर्ष की इस भट्टी में तपकर एक ऐसा अमिताभ चमका जिसकी उम्मीद शायद ही किसी को होगी. अमिताभ बच्चन ने 70 के दशक में बॉलीवुड को जंजीर, आनंद, दीवार, त्रिशूल जैसे कई सुपरहिट फिल्में दी हैं.
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