कैसे दी जाती है दोषियों को फांसी, क्या कहता है जेल मैन्युअल?
आधे घण्टे तक कैदी का शरीर फांसी पर ही लटकता रहता है या फिर जब तक वहां मौजूद डॉक्टर जब इस बात की पुष्टि नहीं कर देते कि कैदी की मौत हो चुकी है.
नई दिल्ली: निर्भया के दोषियों मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को आज सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी जानी है. इस मामले में इंसाफ मिलने में सात साल से ज्यादा का वक्त लग गया.
कैसे दी जाती है दोषियों को फांसी?
- फांसी वाली सुबह सुपरिंटेंडेंट सबसे पहले अपने ऑफिस में जाकर यह चेक करेंगे कि दोषियों की किसी प्रकार की कोई पत्राचार आदि की प्रक्रिया तो पेंडिंग नहीं है. अगर कोई भी औपचारिकता बाकी है तो उसको पूरा किया जाएगा इसके बाद सुपरिंटेंडेंट डिप्टी सुपरिंटेंडेंट के साथ मेडिकल ऑफिसर, मजिस्ट्रेट या फिर एडिशनल मजिस्ट्रेट के साथ दोषियों के सेल में जाकर उनसे मुलाकात करेंगे. उनके स्वास्थ्य को चेक करेंगे और फिर उसके बाद कैदी से यह पूछेंगे कि क्या वह किसी प्रकार की कोई वसीयत तो नहीं छोड़ना चाहता है. अगर कोई वसीयत छोड़ना चाहता है, तो उस पर उसके दस्तखत कराए जाएंगे.
- इसके बाद सुपरिंटेंडेंट मजिस्ट्रेट या फिर एडिशनल मजिस्ट्रेट के साथ फांसी के तख्ते का मुआयना करने के लिए जाएंगे. इस दौरान कैदी डिप्टी जेल सुपरीटेंडेंट की निगरानी में रहेंगे. कैदी के हाथों को पीछे की तरफ बंधवाया जाएगा.
- अब कैदियों को डिप्टी सुपरिंटेंडेंट फांसी के तख्ते की तरफ लेकर जाएंगे. इस दौरान उनके साथ में हेड वार्डर के अलावा 6 वार्डर भी मौजूद रहेंगे. इनमें से दो वार्डर कैदी के आगे चलेंगे दो कैदी के पीछे चलेंगे और दो कैदी के दोनों ओर हाथ पकड़ कर उसे आगे की तरफ लेकर चलेंगे.
- कैदी के फांसी के तख्ते के नजदीक पहुंचने पर सुपरिंटेंडेंट उसे डेथ वारंट पढ़कर सुनाएंगे. उससे पहले सुपरिंटेंडेंट मजिस्ट्रेट और मेडिकल ऑफिसर वहां स्थित अपना अपना स्थान ले चुके होंगे और सुपरिंटेंडेंट मजिस्ट्रेट को यह भी बताएंगे कि वह कैदी को पहचानते हैं, जिसकी फांसी होनी है.
- फांसी के तख्ते के नजदीक पहुंचते ही कैदी के चेहरे पर एक कैप बनाई जाएगी जिसमें फ्लैबी होंगे जो उसकी आंखों को ढक लेंगे. मकसद यही रहेगा कि फांसी के तख्ते से अंदर दाखिल होने पर कैदी को फांसी का फंदा आदि दिखाई ना दे. अब कैदी को फांसी के तख्ते पर लाया जाएगा. इसके बाद उसे फंदे के नीचे खड़ा कर दिया जाएगा. वार्डर अब भी उसका हाथ पकड़े रहेंगे.
- अब कैदी को जल्लाद के हवाले सौंप दिया जाएगा. जल्लाद सबसे पहले कैदी के दोनों पैर कस कर बांध देगा. फिर कैदी के गले मे फांसी का फंदा पहनाया जाएगा.
- अब सुपरिंटेंडेंट यह चेक करेंगे कि फांसी का फंदा सही तरह से पहनाया गया है या नहीं. फांसी के फंदे की गांठ सही जगह पर लगाई गई है या नहीं.
- अब कैदी को पकड़कर खड़े दोनों वार्डर को हटा दिया जाएगा. इसके अलावा जल्लाद सुपरिंटेंडेंट के इशारे का इंतजार करेगा, ताकि फांसी को पूरा कर सके.
- उपरोक्त सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद सुपरिंटेंडेंट इशारा करेंगे, जिसके बाद जल्लाद खटका दबाएगा और कैदी फांसी पर झूल जाएगा.
- अब आधे घण्टे तक कैदी का शरीर फांसी पर ही लटकता रहेगा या फिर जब तक वहां मौजूद डॉक्टर जब इस बात की पुष्टि नहीं कर देते कि कैदी की मौत हो चुकी है.