जानिए, कैसे तैयार हुई एस्ट्रेजेनिका-ऑक्सफोर्ड की कोविड-19 वैक्सीन
एस्ट्रेजेनिका और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड ने अप्रैल महीने में वैक्सीन तैयार करने पर काम शुरू किया था. इसे बुधवार को ब्रिटेन की तरफ से आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने के बाद वह इस वैक्सीन को मंजूरी देने वाला पहला देश बन गया है.
कोरोना वायरस महामारी के पिछले साल चीन में सामने आने के बाद देखते ही देखते यह पूरी दुनिया में तेजी के साथ फैल गई और इसके जानलेवा असर को देखते हुए लॉकडाउन के चलते महीनों तक लोग घरों के अंदर रहने के मजबूर हुए. अब धीरे-धीरे दुनिया की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट ही रही थी कि एक बार फिर से ब्रिटेन में कोरोना का नया स्ट्रेन आने के बाद लोगों में फिर से दहशत है. हालांकि, राहत की बात है कि कई वैक्सीन अब दुनियाभर में आई है और उसके इस्तेमाल को आपात मंजूरी भी दे दी गई है. आइये जानते हैं उस ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के बारे में जिसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट एस्ट्रेजेनिका के साथ मिलकर तैयार किया है.
एस्ट्रेजेनिका और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड ने अप्रैल महीने में वैक्सीन तैयार करने पर काम शुरू किया था. इसे बुधवार को ब्रिटेन की तरफ से आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने के बाद वह इस वैक्सीन को मंजूरी देनेवाला पहला देश बन गया है. हालांकि, इसके डेटा पर कई तरह के सवाल खड़े हुए उसके बावजूद दुनिया की बड़ी आबादी के वैक्सीननेशन पर इस वैक्सीन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
एक समय वैक्सीन की रेस में आगे आगे चल रहे एस्ट्रेजेनिका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मुकाबले अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और जर्मनी की दवा कंपनी बायोएनटेक की तरफ से संयुक्त रूप से तैयार की गई फाइजर वैक्सीन आगे निकल गई. फाइजर की वैक्सीन का टीका पहले से ही ब्रिटेन और अमेरिका में लगाया जा रहा है.
ये हैं ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनिका वैक्सीन के बारे में विस्तृत जानकारी:
-इसे AZD1222 या ChAdOx1nCoV-19 वैक्सीन को वायरस के आधार पर तैयार किया गया है.
-वायरस को रोकने और प्रतिरोधी क्षमता विकसित करने के लिए इसे चिम्पैंजी के सामान्य कोल्ड वायरस से तैयार किया गया है.
-एस्ट्रेजेनिका ने कहा कि यह दो खुराक पर आधारित वैक्सीन है.
-इसके दो तरीके से ट्रायल किया जा रहा है- एक में कोरोना का दो पूरा टीका लगाया गया जबकि एक अन्य में पहले आधा फिर वैक्सीन का पूरा डोज दिया दिया गया.
-आधा डोल वाले वैक्सीन में ट्रायल के दौरान 90 फीसदी नतीजे सामने आए हैं जबकि अंतरिम डेटा के मुताबिक, दो फुल डोज में इसकी प्रभावोत्पादकता 62 फीसदी रही.
-दिसंबर में पहले के परीक्षण आंकड़ों का हवाला देते हुए ऑक्सफोर्ड ने कहा कि यह वैक्सीन दो फुल डोज देने पर बेहतर प्रतिरोधक क्षमता पैदा करती है.
-इसकी प्रतिरोधक क्षमता कम से कम एक साल तक बनी रह सकती है.
ये भी पढ़ें: Oxford Vaccine: क्या आज मिलेगी देश में कोरोना वैक्सीन को मंजूरी? सीरम के आवेदन पर एक्सपर्ट पैनल की बैठक