नई दिल्ली:  क्रिप्‍टो करेंसी पर आरबीआई ने साल 2018 में बैन लगाया था जिसे आज सुप्रीम कोर्ट ने हटाने का फैसला किया है. क्रिप्टो करेंसी के चलन से से क्या देश और दुनिया की सुरक्षा को खतरा पैदा होगा यह सवाल उठने लगा है. क्या क्रिप्टो करेंसी राष्ट्रवाद के लिए भी खतरनाक है?


आज दुनिया में ऐसी सैकड़ों हजारों वेबसाइट और कंपनियां है जो बिटकॉइन को मुद्रा के रूप में स्वीकार कर रही है. दुनिया के भौतिक बाजार आजकल इंटरनेट पे और इंटरनेट हमारे मोबाइल पे आ गया है. लोग अपने खरीददारी का एक बड़ा भाग आजकल इस आभाषी माध्यम मोबाइल इंटरनेट से कर रहें हैं और नकदी कि जगह वर्चुअल वैलट रखने लगे हैं.


आर्थिक विशेषज्ञ पंकज जायसवाल के मुताबिक, ''आज भी कई लोगों के पास बैंकिंग सुविधा नहीं है लेकिन उन लोगों की संख्या अधिक है जिनके पास इंटरनेट के साथ सेल फोन है और यह इंटरनेट के माध्यम से व्यापार नहीं कर सकते. मोबाइल इंटरनेट, लॉयल्टी पॉइंट, रिवार्ड पॉइंट और वैलट की विचारधारा ने बिटकॉइन कि विचारधारा को इन्फ्रा सपोर्ट किया है क्योंकि इसने राज्य प्रतिष्ठान कि अनिवार्य मान्यता को हटा कर सिर्फ एक सूत्र वाक्य को पकड़ा है वह है जन स्वीकार्यता और हमें ले गया है उस दौर में जब विनिमय के लिए मानवों ने देश कि सीमाओं के रूप में बड़ी रेखाएं नहीं खींची थी. बिना राज्य प्रतिष्ठान कि गारंटी, केन्द्रीय बैंक के नियमन के भी आप आभाषी दुनिया में बिटकॉइन की वजह से लेन देन कर सकते हैं क्योंकि बिटकॉइन पर किसी व्यक्ति विशेष सरकार या कंपनी का कोई स्वामित्व नहीं होता है."


बिटकॉइन करेंसी पर कोई भी सेंट्रलाइज कंट्रोलिंग अथॉरिटी नहीं है. आज बिटकॉइन काफी पॉपुलर इसलिए है क्योंकि इसे मुद्रा शक्ति उन हजारों लोगों से मिलती है जिनके पास विशेष कंप्यूटर है जो नेटवर्क को इतना शक्ति संपन्न बनाते हैं कि नेट पर विनिमय सुरक्षित हो और लेनदेन की जांच करते रहते हैं, इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है. बिटकॉइन के पूरे सौदे की चेन को आप पूरी निजता बनाए हुए देख सकते हैं.


आर्थिक विशेषज्ञ पंकज जायसवाल की क्या है राय?


आर्थिक विशेषज्ञ पंकज जायसवाल के मुताबिक, ''आज के राष्ट्र राज्य कि अवधारणा में बिटकॉइन एक नई और बड़ी चुनौती है. यह एक नई आभाषी दुनिया का निर्माण कर रही है, उस आभाषी दुनिया कि करेंसी का निर्माण कर रही है. अब किसी देश के नागरिकों को किसी देश के मान्यता प्राप्त करेंसी को संग्रहfत करने और लेन देन कि जरूरत नहीं है. इस आभाषी दुनिया कि इस आभाषी करेंसी पे न तो राज्य का नियमन है और ना ही ईस पे राज्य का कानून काम कर पा रहा है. यह पूरी तरह पीयर टू पीयर अवधारणा पे काम कर रहा है, जहां राज्य का हस्तक्षेप नहीं है.


आज की यह आधुनिक करेंसी हमें मानवीय सभ्यता के उस शुरुआती दौर में ले जा रही है जब मानवों के विकास एवं सुखमय जीवन के राज्य कि स्थापना हुई थी और राज्य का नियंत्रण जनता पे पूरी तरह स्थापित हो पाया था और कर भार लगाने का एक आधार मुद्रा का जन्म हुआ था. बिटकॉइन का प्रचलन केवल राष्ट्र कि भूमिका और उसके राष्ट्रवाद को ही नहीं खत्म कर रहा है यह उस राज्य के द्वारा लगाए जाने वाले कर के बेस को भी खत्म कर दे रहा है, और यह आगे चल के ब्लैक मनी का बहुत बड़ा हथियार बन सकता है. मानव सभ्यता के बड़े दुश्मन आतंकवादी, ड्रग माफिया एवं तस्कर इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर सकते हैं.'


जब तक आभाषी दुनिया लोगों को अपनी गिरफ्त में लेकर एक नई दुनिया, एक नया कानून और एक नई सीमा रेखा को स्थापित करे पूरी दुनिया को इसपर शोध एवं चिंतन करने की जरूरत है ताकि इसका मानव हित में कैसे इस्तेमाल किया जा सके और इसे ब्लैक मनी और माफिया के इस्तेमाल से बचाया जा सके.


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