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घनी आबादी में कैसे किसी महिला के साथ हो सकता है बार-बार रेप? बॉम्बे हाईकोर्ट की टिप्पणी

महिला की दलील सुनकर कोर्ट ने कहा कि बलात्कार की प्राथमिकी कथित मामले के शुरू होने के छह महीने बाद दर्ज की गई थी. वहीं महिला के बयान से ये पता चलता है कि आरोपी उसका पड़ोसी है.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में बलात्कार के एक मामले में आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, "यह स्वीकार करना बहुत मुश्किल है कि एक घनी आबादी वाले आवासीय इलाके में रहने वाली विधवा जिसके पहले से दो बच्चे भी हैं, के साथ एक बार नहीं बल्कि कई मौकों पर बलात्कार किया जा सकता है."

क्या है मामला 

जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और अभय एस वाघवासे की बेंच आईपीसी की धारा 376, 406, 427, 323, 506 के तहत दर्ज एक एफआईआर को रद्द करने के लिए आरोपी के दायर किए गए आपराधिक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी. एफआईआर दर्ज करने वाली महिला का दावा है कि अर्जी दायर करने वाले ने पानी पीने के बहाने उसके घर में जबरदस्ती घुसकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे. 

मुखबिर का दावा है कि वह पानी पीने के बहाने घर के अंदर घुस गया. जब वह अंदर गई तो आरोपी ने भी उसका पीछा किया, उसे शर्मिंदा किया, चाकू दिखाकर डराया और जान से मारने की धमकी भी दी. इसके अलावा उसने उसके साथ बलात्कार भी किया. 

कैंसर के कारण पति को खो दिया था

बता दें कि एफआईआर दर्ज करवाने वाली महिला शादीशुदा है और उसका एक बेटा और बेटी है. कैंसर की बीमारी की वजह से महिला के पति की मौत हो गई थी. 

इस मामले में महिला की दलील सुनकर कोर्ट ने कहा कि बलात्कार की प्राथमिकी कथित मामले के शुरू होने के 6 महीने बाद दर्ज की गई थी. वहीं महिला के बयान से पता चलता है कि आरोपी शख्स उसका पड़ोसी है जो नियमित तौर पर उसके घर आता था और यहां तक कि कई बार उसकी मदद भी करता था. उसने ऑपरेशन के लिए उसे अपना एटीएम कार्ड भी दिया था. 

पहले से थी जान पहचान

हाई कोर्ट के अनुसार आरोपी और महिला के बीच काफी पहले से जान पहचान थी. ऐसे में यह स्वीकार करना मुश्किल है कि घनी आबादी वाले रिहायशी इलाके में रहने वाली दो बच्चों की विधवा का एक बार नहीं बल्कि कई मौकों पर जबरन बलात्कार किया जा सकता है.  इसलिए, आवेदक को इस तरह के आरोपों का सामना करने में न सिर्फ कठिनाई होगी बल्कि उसके साथ बड़ा अन्याय भी होगा. 

आभूषण को चुराने का आरोप झूठा

पीठ ने कहा कि आरोपी पर महिला के आभूषणों को चुराने का आरोप भी झूठा है. ये आरोप सोची समझी साजिश के तहत लगाया गया है. क्योंकि जिस जौहरी के पास उसके गहने गिरवी रखे गए थे. उसने बयान में कहा कि आवेदक इससे पहले भी महिला के साथ दो बार गहने गिरवी रखने आ चुका है.  

जौहरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह दोनों को ही अच्छे से जानता है. उसने आगे कहा कि एफआईआर दर्ज करने वाली महिला ने ही उसे गहने गिरवी रखने के लिए दिए थे. 

भारत में रेप को लेकर क्या है कानून 

भारत में रेप से संबंधित अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता में धारा  375 और 376 के तहत सजा का प्रावधान है. इसमें अदालत मौत की सजा भी सुना सकती है. रेप को लेकर भारत में सजा को धारा 375, 376क, 376ख, 376ग,376घ के रूप में

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में बलात्कार के एक मामले में आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, "यह स्वीकार करना बहुत मुश्किल है कि एक घनी आबादी वाले आवासीय इलाके में रहने वाली विधवा जिसके पहले से दो बच्चे भी हैं, के साथ एक बार नहीं बल्कि कई मौकों पर बलात्कार किया जा सकता है."

क्या है मामला 

जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और अभय एस वाघवासे की बेंच आईपीसी की धारा 376, 406, 427, 323, 506 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई कर रही थी. एफआईआर दर्ज करने वाली महिला का दावा है कि आवेदक ने पानी पीने के बहाने उसके घर में जबरदस्ती घुसकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे. 

मुखबिर का दावा है कि वह पानी पीने के बहाने घर के अंदर घुस गया. जब वह अंदर गई तो आरोपी ने भी उसका पीछा किया, उसे शर्मिंदा किया, चाकू दिखाकर डराया और जान से मारने की धमकी भी दी. इसके अलावा उसने उसके साथ बलात्कार भी किया. 

कैंसर के कारण पति को खो दिया था

बता दें कि एफआईआर दर्ज करवाने वाली महिला शादीशुदा है और उसका एक बेटा और एक बेटी भी है. कैंसर की बीमारी के कारण महिला ने अपने पति को भी खो दिया था.

महिला की दलील सुनकर कोर्ट ने कहा कि बलात्कार की प्राथमिकी कथित मामले के शुरू होने के छह महीने बाद दर्ज किया गया था. वहीं महिला के बयान से पता चलता है कि आवेदक उसका पड़ोसी है जो नियमित रूप से उसके घर आता था और यहां तक कि कई बार उसकी मदद भी करता था. उसने ऑपरेशन के लिए उसे अपना एटीएम कार्ड भी सौंपा था. 

पहले से थी जान पहचान

हाई कोर्ट के अनुसार आवेदक और महिला के बीच काफी पहले से जान पहचान थी. ऐसे में यह स्वीकार करना मुश्किल है कि घनी आबादी वाले रिहायशी इलाके में रहने वाली दो बच्चों वाली विधवा का एक बार नहीं बल्कि कई मौकों पर जबरन बलात्कार किया जा सकता है.  इसलिए, आवेदक को इस तरह के आरोपों का सामना करने में ना सिर्फ कठिनाई होगी बल्कि बड़ा अन्याय भी होगा. 

आभूषण को चुराने का आरोप झूठा

पीठ ने कहा कि आवेदक पर महिला के आभूषणों को चुराने का आरोप भी झूठा है और यह सोची समझी साजिश के तहत कहा गया. क्योंकि जिस जौहरी के पास उसके गहने गिरवी रखे गए थे, उसने बयान में कहा कि आवेदक इससे पहले भी महिला के साथ दो बार गहने गिरवी रखने आ चुका है.  

जौहरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह दोनों को ही अच्छे जानता है. उसने आगे कहा कि एफआईआर दर्ज करने वाली महिला ने ही उसे गहने गिरवी रखने के लिए दिए थे. 

भारत में रेप को लेकर क्या है कानून 

भारत में रेप से संबंधित अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता में धारा  375 और 376 के तहत सजा का प्रावधान है. इसमें अदालत मौत की सजा भी सुना सकती है. रेप को लेकर भारत में सजा को धारा 375, 376क, 376ख, 376ग,376घ के रूप में विभाजित किया गया है.

आईपीसी की इस धारा के तहत बलात्कार करने वाले अपराधी के लिए कम से कम सात साल की सज़ा का प्रावधान है. ये सजा बढ़ भी सकती है. लेकिन नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, रेप के मामलों में हर चौथी विक्टिम नाबालिग होती है. इसके अलावा लगभग 94 प्रतिशत मामलों में बलात्कार करने वाले अपराधी विक्टिम के पहचान वाला ही होता है.

आईपीसी की इस धारा के तहत बलात्कार करने वाले अपराधी के लिए कम से कम सात साल की सज़ा का प्रावधान है. ये सजा बढ़ भी सकती है. लेकिन नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, रेप के मामलों में हर चौथी विक्टिम नाबालिग होती है. इसके अलावा लगभग 94 प्रतिशत मामलों में बलात्कार करने वाले अपराधी विक्टिम के पहचान वाले ही होते हैं.

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